Nag Panchami 2024 Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Time, Samagri, Mantra, Aarti: शास्त्रोंं में नागपंचमी का विशेष महत्व है। क्योंकि यह पर्व शिव के गण नाग देवता को समर्पित है। वहीं यह पर्व हर साल सावन महीने के शुक्‍ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। साथ ही इस दिन मुख्य रूप से आठ नाग देवताओं की पूजा की जाती है और वे हैं वासुकि, ऐरावत, मणिभद्र, कालिया, धनंजय, तक्षक, कर्कोटकस्य और धृतराष्ट्र। वहीं मान्यता है कि इस नागों की पूजा करने से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।

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साथ ही आपको बता दें कि इस दिन शनि देव का शश राजयोग बन रहा है। वहीं इस दिन शुक्र और बुध की युति से लक्ष्मी नारायण योग बन रहा है। जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त, पूजा- विधि और सामग्री…

नाग पंचमी पूजा- विधि

नागपंचमी के दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और फिर स्नान करके साफ- सुथरे वस्त्र धारण करें। साथ ही इसके बाद घर के दरवाजे पर या पूजास्थल पर गाय के गोबर या पवित्र मिट्टी से नाग बनाएं और व्रत का संकल्प लें और नाग देवता का आह्वान करें। वहीं प्रतीकात्मक नागों पर जल, फूल और चंदन का अर्घ्य दें। साथ ही मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद प्रतिकात्मक नागों पर कुमकुम, अबीर, गुलाल, चंदन, फूल, बिल्वपत्र, हल्दी, मेंहदी आदि चढ़ाएं। पंचामृत, पंचमेवा, फल आदि का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं और आरती करें। साथ ही अंत में नागों का स्मरण करके कोई गलती के लिए क्षमा मांग लें। 

नाग पंचमी पूजा सामग्री

नागपंचमी के दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक और नाग देवता की पूजा का विधान है। इसलिए अगर पूजा सामग्री की बात करें तो नाग देवता की प्रतिमा या फोटो, दूध, पुष्प, पंच फल पंच मेवा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, मौली जनेऊ, पंच मिठाई, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, गन्ने का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि शामिल है।

इन मंत्रों का करें जाप

  • ॐ नगपति नम:
  • ॐ व्याल नम:
  • ॐ अहि नम:
  • ॐ विषधर नम:
  • ॐ शैल नम:
  • ॐ भूधर नम:

नाग पंचमी की आरती

श्रीनागदेव आरती पंचमी की कीजै ।
तन मन धन सब अर्पण कीजै ।
नेत्र लाल भिरकुटी विशाला ।
चले बिन पैर सुने बिन काना ।
उनको अपना सर्वस्व दीजे।।

पाताल लोक में तेरा वासा ।
शंकर विघन विनायक नासा ।
भगतों का सर्व कष्ट हर लिजै।।

शीश मणि मुख विषम ज्वाला ।
दुष्ट जनों का करे निवाला ।
भगत तेरो अमृत रस पिजे।।

वेद पुराण सब महिमा गावें ।
नारद शारद शीश निवावें ।
सावल सा से वर तुम दीजे।।

नोंवी के दिन ज्योत जगावे ।
खीर चूरमे का भोग लगावे ।
रामनिवास तन मन धन सब अर्पण कीजै ।
आरती श्री नागदेव जी कीजै ।।

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