Nag Panchami 2024 Nagchandreshwar Temple In Ujjain: श्रावण मास भगवान शिव का प्रिय मास माना जाता है। इस माह भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा करने से हर तरह के दुख-दर्दों से छुटकारा मिलता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। देशभर के शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है। इस साल नागपंचमी का पर्व 9 अगस्त 2024 को मनाया जा रहा है। इस दिन नाग देवता की पूजा करने के साथ-साथ दूध चढ़ाने का परंपरा है। ऐसे ही हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहा है जहां पर नागपंचमी के दिन लाखों भक्त पहुंचते है। इस मंदिर का नाम है नागचंद्रेश्वर मंदिर, जो उज्जैन में स्थित है। ये एकलौता ऐसा मंदिर है, जिसके कपाट सिर्फ नाग पंचमी के दिन खुलते हैं और 24 घंटों के लिए खुले रहते हैं। मान्यता है इस मंदिर में दर्शन करने मात्र से कुंडली में मौजूद काल सर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में…
बता दें कि साल में एक बार यानी नागपंचमी के दिन ही इस मंदिर के कपाट खोले जाते हैं। इस मंदिर के कपाट रात 12 बजे खोल दिए जाते हैं। अगले दिन रात को 12 बजे आरती करके इस मंदिर के कपाट पुन: बंद कर दिए जाते हैं। इस मंदिर में नागों के राजा तक्षक भी विराजमान रहते हैं।
नागचंद्रेश्वर मंदिर क्यों है खास?
बता दें कि उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के तीसरी मंजिल में ही नागचंद्रेश्वर मंदिर है। जहां पर नागचंद्रेश्वर महादेव विराजमान है। ये एकलौता मंदिर माना जाता है जहां पर भोलेनाथ दशमुखी सर्प के आसन में शिव जी, मां पार्वती के साथ अपने पूरे परिवार के साथ विराजित है। यह मूर्ति करीब 11वें शताब्दी की बताई जा रही है।
नेपाल से आई थी ये अद्भुत मूर्ति
बताया जाता है कि परमार राजा भोज ने 1050 ईस्वी में इस मंदिर का निर्माण कराया था। इसके साथ ही इस अद्भुत मूर्ति को नेपाल से लाया गया था। इसके बाद सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया से 1732 ईं में इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया था।
साल में एक बार ही क्यों खुलता है नागचंद्रेश्वर मंदिर?
नागचंद्रेश्वर मंदिर सिर्फ नागपंचमी के दिन ही खुलता है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। इसके अनुसार, सर्पराज तक्षक ने भगवान शिव को मनाने के लिए कठोर तपस्या की थी। ऐसे में भोले बाबा ने प्रसन्न होकर अमरत्व का वरदान दिया था। कहा जाता है कि तब से तक्षक राजा ने शिव जी के सानिध्य में रहना शुरू कर दिया। लेकिन भोले बाबा को ये अच्छा नहीं लगा,क्योंकि वह एकांत में ध्यान करना पसंद करते हैं। राजा तक्षक ने इस मंशा को जान लिया और भोले बाबा के एकांत में किसी भी प्रकार विघ्न ना हो,तो इस लिए साल में एक बार ही उनके दर्शन करने आने लगे। इसी के कारण इस मंदिर को नाग पंचमी के दिन ही खोला जाता है।
दर्शन करने मात्र से कालसर्प से मिल जाती है मुक्ति
मान्यता है कि अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में सर्प दोष, कालसर्प दोष है, तो नाग पंचमी के दिन नागचंद्रेश्वर मंदिर में आकर दर्श कर लें और विधिवत पूजा कर लें। ऐसा करने से नाग दोष. काल सर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है।