Nag Panchami 2024 Date and Time Kab Hai, Puja Vidhi, Shubh Muhurat: देशभर में आज नाग पंचमी का पर्व मनाया गया है। इसके साथ ही उज्जैन में स्थित नाग चंद्रेश्वर मंदिर के कपाट अगले 24 घंटे के लिए खोल दिए गए हैं। बता दें कि, प्रति वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन नागों की पूजा करने के साथ-साथ उन्हें दूध पिलाने का विधान है। मान्यता है कि इस दिन नागों की पूजा करने से काल सर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल नाग पंचमी पर काफी शुभ योग बन रहे हैं।
Nag Panchami 2024 Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Time, Samagri, Mantra, Aarti in Hindi: Read Here
इस दिन शुभ और सिद्ध योग बनने के साथ-साथ शनि और राहु की कृपा भी प्राप्ति होगी। इसके साथ ही इस दिन शुक्र और बुध मिलकर लक्ष्मी नारायण योग बनाएंगे। इसके साथ ही शनि शश राजयोग का निर्माण करेंगे। हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की आरंभ 9 अगस्त 2024 को सुबह 12:37 मिनट पर हो रहा है, अगले दिन यानी 10 अगस्त को सुबह 3: 14 बजे पर समापन होगा। इसलिए नागपंचमी का पर्व 9 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा का विशेष मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 13 मिनट आरंभ होगा, जो दोपहर 1 बजे समाप्त होगा। इस दिन प्रदोष काल में नाग देवता की पूजा का बड़ा महत्व है। आइए जानते हैं नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, उपाय से लेकर हर एक जानकारी…
प्रदोष काल में भी पूजा का शुभ मुहूर्त: 9 अगस्त को शाम 06:33 मिनट से रात को 08:20 मिनट तक।
नाग पंचमी पर रोटी बनाने की मनाही होती है, क्योंकि इस दिन लोहे का इस्तेमाल करने का मनाही होती है। तवा लोहे से बना होता है। तवे को सर्प के फन से जोड़कर देखा जाता है। इसलिए इस दिन तवा को आग में रखने से नाग देवता नाराज हो जाते हैं।
प्राचीन काल में एक सेठजी थे, जिनके सात पुत्र थे। सातों पुत्र विवाहित थे। इन्हीं सातों में से सबसे छोटे पुत्र की पत्नी काफी चरित्रवान और श्रेष्ठ थी। लेकिन उसका कोई भाई नहीं था। एक दिन सेठजी की सबसे बड़ी बहू ने घर लीपने के लिए पीली मिट्टी लाने को सभी बहुओं को साथ चलने के लिए कहा, तो सभी बहुएं धलिया और खुरपी लेकर मिट्टी खोदने लगीं। तभी वहां एक सांप निकला। जैसे ही बड़ी बहू ने देखा, तो उसे खुरपी से मारने की कोशिश करने लगी। ऐसे में छोटी बहू ने तुरंत उसे सांप मारने से रोका। ऐसे में बड़ी बहू ने सांप को नहीं मारा। ऐसे में सांप उस स्थान से हटकर एक ओर जाकर बैठ गया।
विशेजसर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले
ये च हेलिमरीचिस्था ये न्तरे दिवि संस्थिता॥
सावन का महीना आया है,
हो रही खुशियों की बौछार,
आपके लिए शुभ हो,
नाग पंचमी का त्योहार।
नाग पंचमी की शुभकामनाएं।
भगवान शिव के गले में सांपों का हार है
सावन के महीने में नाग पंचमी का त्योहार है।
नाग पंचमी की शुभकामनाएं।
गले में शिव शंभू के विराजे नाग,
पृथ्वी को रखें हैं अपने फन पर,
ऐसे हैं हमारे शक्तिशाली देवता नागराज
इनके चरणों में हमारा कोटि-कोटि प्रणाम
आज देशभर में नाग पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है। द्रिक पंचांग के अनुसार, अगली साल 2025 में नाग पंचमी 29 जुलाई 2024, मंगलवार के दिन पड़ रही है।
नाग पंचमी पर नाग देवता की विधिवत पूजा करने के का विधान है। बता दें कि आज दोपहर के समय विशेष पूजा का मुहूर्त है। अगर आप भी विशेष पूजा करना चाहते हैं, तो दोपहर 12 बजकर 13 मिनट आरंभ होगा, जो दोपहर 1 बजे समाप्त होगा।
अगर आपकी कुंडली में काल सर्प दोष है, तो नाग पंचमी के दिन चांदी से बनी हुई नाग-नागिन की आकृति वाली अंगूठी पहन सकते हैं। इससे आपको लाभ मिलेगा। इसके साथ ही “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:” और “ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम:” मंत्रों का जाप करें। ऐसा करने से कुंडली में राहु और केतु की भी स्थिति मजबूत होगी।
आरती नागद्वारा, शेषशाई अवतारा,
सद्भावे ओवाळितो, पावे दिगंबर द्वारा ।
आरती नागद्वारा ।।धृ ।।
मेरुच्या शिखरी जडले, सिंहासन भारी ।
त्यावर बैसुनिया, सृष्टी रचली या सारी ।।१।।
आरती नागद्वारा……
श्रीराम अवतारी, बंधू लक्ष्मण होशी ।
पाळली राम आज्ञा, पुर्ण कार्य तू करशी ।।२।।
आरती नागद्वारा……
श्रीकृष्ण अवतारी, ज्येष्ठ बंधू बळीराम ।
प्रताप थोर होतो, जगी मिळविले नाव ।।३।।
आरती नागद्वारा……
श्रावण महिन्यात, दिवस नागपंचमी रात्र ।
आनंद थोर होतो देवा तुझ्या मंडपात ।।४।।
आरती नागद्वारा……
शेष सिंधु सागरात, शेषसाई अनंत ।
तेथे तुम्ही नांदता हो, ज्याला म्हणतात लक्ष्मीकांत ।।५।।
आरती नागद्वारा……
कालीया नांव तुझे, घेता उतरले ओझे ।
स्मरण केली या हो, देवा सार्थक होई माझे।।६।।
आरती नागद्वारा……
देवा मी ज्ञान धरीले, दुःख माझे हरीले ।
हरीला सेवा केली, शंकर मजला पावले ।।७।।
आरती नागद्वारा……
वैशाख महिन्यात, दिवस नागपंचमी रात्र ।
आनंद थोर होतो देवा तुझ्या मंडपात ।।८।।
आरती नागद्वारा……
आज देव शेषराये, भक्ती तुझी पुर्ण होय ।
नवखंड पृथ्वीशी, देवा भरुनी आला आहे ।।९।।
आरती नागद्वारा……
पाचतत्व पंच ज्योती, ओवळीले नागनाथा ।
भक्तजन आरत्या गावी, जागा चारणापाशी द्यावी ।।१०।।
आरती नागद्वारा……
नाग पंचमी पर सांपों का दूध पिलाने का परंपरा है। कहा जाता है कि ऐसा करने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं। वहीं सांपों का नेचुरल आहार दूध नहीं है। वह मुख्य रूप से मेंढक, चूहे या कोई अन्य छोटा जीवन खाते हैं। ऐसे में उसके पाचन तंत्र के लिए दूध बिल्कुल उपयुक्त नहीं है। ऐसे में दूध सांपों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। इसलिए नागपंचमी के दिन नागों को दूध पिलाएं नहीं बल्कि चढ़ा सकते हैं।
नाग पंचमी के मौके पर कानपुर के नागेश्वर शिव मंदिर में में श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की।
#WATCH उत्तर प्रदेश: कानपुर में नाग पंचमी के अवसर पर श्रद्धालुओं ने नागेश्वर शिव मंदिर में पूजा-अर्चना की। pic.twitter.com/ZZ2n7zK9fM
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 9, 2024
नागपंचमी के पावन अवसर पर मध्य रात्रि में उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट खुले। इस मंदिर के कपाट साल में एक बार नाग पंचमी के दिन खोले जाते हैं। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने यहां पूजा-अर्चना की।
#WATCH मध्य प्रदेश: नागपंचमी के अवसर पर मध्य रात्रि में उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट खुले।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 9, 2024
इस मंदिर के कपाट साल में एक बार नाग पंचमी के दिन खोले जाते हैं। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने यहां पूजा-अर्चना की। pic.twitter.com/FmYjNI0nq7
नाग पंचमी के मौके पर विधिवत तरीके से नाग देवता की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन नाग देवता को दूध से स्नान कराएं। इसके साथ ही फूल, माला सहित अन्य पूजन सामग्री चढ़ाएं। अंत में आरती करने के साथ व्रत कथा का पाठ अवश्य करें। मान्यता है कि आज के दिन नाग देवता की पूजा करने से काल सर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है।
इस बार नाग पंचमी पर अभिजीत मुहूर्त के साथ ही अमृत काल, रवि योग, शिववास योग, सिद्ध योग, साध्य योग, बव और बालव, करण योग के साथ हस्त नक्षत्र में रहेंगे।
प्राचीन काल में एक सेठजी थे, जिनके सात पुत्र थे। सातों पुत्र विवाहित थे। इन्हीं सातों में से सबसे छोटे पुत्र की पत्नी काफी चरित्रवान और श्रेष्ठ थी। लेकिन उसका कोई भाई नहीं था। एक दिन सेठजी की सबसे बड़ी बहू ने घर लीपने के लिए पीली मिट्टी लाने को सभी बहुओं को साथ चलने के लिए कहा, तो सभी बहुएं धलिया और खुरपी लेकर मिट्टी खोदने लगीं। तभी वहां एक सांप निकला। जैसे ही बड़ी बहू ने देखा, तो उसे खुरपी से मारने की कोशिश करने लगी। ऐसे में छोटी बहू ने तुरंत उसे सांप मारने से रोका। ऐसे में बड़ी बहू ने सांप को नहीं मारा। ऐसे में सांप उस स्थान से हटकर एक ओर जाकर बैठ गया।
ब्रह्म लोके च ये सर्पाःशेषनागाः पुरोगमाः।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
विष्णु लोके च ये सर्पाःवासुकि प्रमुखाश्चये।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
रुद्र लोके च ये सर्पाःतक्षकः प्रमुखास्तथा।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
खाण्डवस्य तथा दाहेस्वर्गन्च ये च समाश्रिताः।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
सर्प सत्रे च ये सर्पाःअस्थिकेनाभि रक्षिताः।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
प्रलये चैव ये सर्पाःकार्कोट प्रमुखाश्चये।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
धर्म लोके च ये सर्पाःवैतरण्यां समाश्रिताः।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
ये सर्पाः पर्वत येषुधारि सन्धिषु संस्थिताः।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
ग्रामे वा यदि वारण्येये सर्पाः प्रचरन्ति च।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
पृथिव्याम् चैव ये सर्पाःये सर्पाः बिल संस्थिताः।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
रसातले च ये सर्पाःअनन्तादि महाबलाः।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
श्रीनागदेव आरती पंचमी की कीजै ।
तन मन धन सब अर्पण कीजै ।
नेत्र लाल भिरकुटी विशाला ।
चले बिन पैर सुने बिन काना ।
उनको अपना सर्वस्व दीजे।।
पाताल लोक में तेरा वासा ।
शंकर विघन विनायक नासा ।
भगतों का सर्व कष्ट हर लिजै।।
शीश मणि मुख विषम ज्वाला ।
दुष्ट जनों का करे निवाला ।
भगत तेरो अमृत रस पिजे।।
वेद पुराण सब महिमा गावें ।
नारद शारद शीश निवावें ।
सावल सा से वर तुम दीजे।।
नोंवी के दिन ज्योत जगावे ।
खीर चूरमे का भोग लगावे ।
रामनिवास तन मन धन सब अर्पण कीजै ।
आरती श्री नागदेव जी कीजै ।।
अगर आप भी इस दिन व्रत रख रहे हैं, तो पहले से ही पूजा सामग्री तैयार कर लें। इसके लिए नाग देवता की मूर्ति या फोटो, दूध, फूल, पंच फल, पंच मेवा, पूजा के बर्तन, दही, घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, मौली जनेऊ, पंच मिठाई, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ, तुलसी दल, मंदार पुष्प, कच्चा दूध, गन्ने का रस, कपूर, धूप दीपक,सफेद चंदन,
नाग पंचमी के दिन इन आठ नागों का पूजा अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से शिव जी के साथ विष्णु जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसलिए आज अनन्त, वासुकी, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीक, कर्कट और शंख की पूजा अवश्य करें।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन आस्तिक नामक ब्राह्मण सर्प यज्ञ रोककर नागों की रक्षा की थी। इस कारण हर साल इस पर्व को मनाया जाता है। इस पौराणिक कथा के अलावा नगा पंचमी मनाने के पीछे कई कथाएं प्रचलित है।
नाग पंचमी के दिन राशि के अनुसार कुछ उपायों को करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन हर राशि के जातकों को नाग देवता की विधिवत पूजा करने के साथ एक नारियल बहते जल में प्रवाहित करना चाहिए। इसके साथ ही शिव स्तुति अवश्य करना चाहिए। इससे जीवन में खुशियां ही खुशियां आती है।
नाग पंचमी पर पूजा के लिए करीब 2 घंटे 40 मिनट का समय मिला। हिंदू पंचांग के अनुसार, आज सुबह 05:47 मिनट से लेकर 08:27 मिनट तक पूजा करने का सबसे अच्छा मुहूर्त है।
नाग पंचमी यानी आज अपने घर के मुख्य द्वार पर गोबर से नाग देवता का चित्र अवश्य बनाना चाहिए। इसके साथ ही विधिवत तरीके से पूजा करें। ऐसा करने से नाग देवता के साथ-साथ शिव जी की विशेष कृपा होती है। इसके साथ ही सर्प भय समाप्त हो जाता है और जातक को कालसर्प दोष से मुक्ति मिलेगी
अगर किसी जातक की कुंडली में काल सर्प दोष या फिर पितृ दोष है, तो नाग पंचमी के दिन इन खास ज्योतिषीय उपायों को कर सकते हैं। ऐसा करने से नाग देवता के साथ भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
नाग पंचमी के दिन भगवान शिव के साथ-साथ नाग देवता की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। आज के दिन शिवलिंग में जल, दूध, पंचामृत के साथ बेलपत्र, धतूरा, शमी पत्र, कनेर का फूल, आक का फूल आदि चढ़ाने के साथ मौसमी फल, घी का दीपक और धूपबत्ती आदि जला दें। इसके साथ ही नागदेवता का मंदिर है, तो वहीं जाकर दर्शन करने के साथ दूध अर्पित करें। इसके साथ ही शाम को प्रदोष काल में पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी। इसके साथ ही किसी एकांत स्थान पर एक कटोरी में दूध रख दें।
हर कोई अपनी श्रद्धा के अनुसार नाग देवता की पूजा करने के साथ उन्हें दूध पिलाते हैं। इस दिन पूजा करने के साथ-साथ इस पौराणिक कथा को अवश्य सुनना चाहिए। आइए जानते हैं नाग पंचमी की व्रत कथा(Nag Panchami Katha)…- पूरी कथा के लिए क्लिक करें
पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त: 9 अगस्त को सुबह 05:47 मिनट से लेकर 08:27 मिनट तक।
पूजा का दोपहर का शुभ मुहूर्त: 9 अगस्त को दोपहर 12:13 मिनट से लेकर 1:00 बजे तक का।
प्रदोष काल में भी पूजा का शुभ मुहूर्त: 9 अगस्त को शाम 06:33 मिनट से रात को 08:20 मिनट तक।
बता दें कि आज देशभर में नाग पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है। आज के दिन भगवान शिव के साथ नाग देवता की पूजा करने का विधान है। आज करीब 500 साल बाद दुर्लभ योग बन रहे हैं। आज अभिजीत मुहूर्त के साथ ही अमृत काल, रवि योग, शिववास योग, सिद्ध योग, साध्य योग, बव और बालव, करण योग के साथ हस्त नक्षत्र बन रहा है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, आज नाग पंचमी की पूजा के लिए कुछ घंटे ही मिलेंगे। आज सुबह 05:47 मिनट से लेकर 08:27 मिनट तक करना सबसे ज्यादा शुभ होगा।
इस नाग पंचमी पर कई दुर्लभ योगों का निर्माण हो रहा है। इस दिन अभिजीत मुहूर्त के साथ ही अमृत काल, रवि योग, शिववास योग, सिद्ध योग, साध्य योग, बव और बालव, करण योग के साथ हस्त नक्षत्र में रहेंगे।