Nag Panchami Kab Hai: शास्त्रों में नाग पंचमी का विशेष महत्व बताया गया है। साथ ही यह त्योहार पूरे देश में मनाया जाता है। नाग पंचमी तिथि के दिन नाग देवता की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही नागों का स्नान दूध से कराया जाता है। वहीं इस दिन लोग नागों का प्रतीक चित्र बनाकर पूजा करते हैं। ही मान्यता है कि यदि आप नाग पूजा करते हैं तो भगवान शिव आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। साथ ही अगर ज्योतिष के दृष्टिकोण से देखें तो इस दिन कालसर्प दोष की पूजा होती है। मतलब जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष और राहु दोष होता है वो लोग इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते हैं।

आपको बता दें कि सावन मास में दो नागपंचमी तिथि आती है। एक शुक्ल पक्ष और एक कृष्ण पक्ष, वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल नाग पंचमी का पर्व 7 जुलाई को मनाया जाएगा। लेकिन यह सिर्फ राजस्थान, बिहार और झारखंड राज्यों में रहेगी। आइए जानते हैं तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा- विधि…

नागपंचमी तिथि और शुभ मुहूर्त

पंचांग अनुसार 7 जुलाई को कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि सुबह 3 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगी और 7 तारीख की मध्यरात्रि 12 बजकर 19 मिनट पर खत्म होगी।

वहीं 21 अगस्त को शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 20 अगस्त को रात 12 बजकर 22 मिनट पर पंचमी तिथि शुरू होगी। साथ ही 21 तारीख को रात में 2 बजकर 1 मिनट पर यह तिथि खत्म हो जाएगी।

राहु और काल सर्प दोष के लिए करें ये काम

1- कुंडली में राहु और केतु की दशा चल रही है उन्हें भी नाग देवता की पूजा करनी चाहिए। इस उपाय से राहु केतु दोष से मुक्ति मिलेगी।

2- जन्मकुंडली में कालसर्प दोष हो तो व्यक्ति को नाग पंचमी के दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना चाहिए। 

3- इस दिन किसी नदी में चांदी की नाग- नागिन नदी में प्रवाहित कर दें। यह उपाय भी काल सर्प दोष से मुक्ति दिला सकता है।

4-नागपंचमी के दिन व्रत रखें। व्रत रखने से व्यक्ति को कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।

5- इस दिन ब्राह्राण और जरूरतमदों को दान करना चाहिए। ऐसा करने से राहु- केतु के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिल सकती है।