सनातन धर्म में पौराणिक काल से ही नागों की पूजा- अर्चना की जाती है। साथ ही भोलेनाथ के गले में सर्प विराजमान है। इसलिए नाग पूजनीय है। आपको बता दें कि  श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाई जाती है। जो इस बार 2 अगस्त को पड़ रही है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के साथ नाग देवता का भी पूजन किया जाता है। साथ ही जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष विद्यमान है। वह नाग पंचमी के दिन कालसर्प दोष की पूजा कर सकते हैं। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त और पूजन-विधि…

नाग पंचमी शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल नाग पंचमी पर दो विशेष योग भी बन रहे हैं। आपको बता दें कि 2 अगस्त को नाग पंचमी शिव और सिद्धि योग में मनाई जाएगी। इस दिन शाम 06 बजकर 39 मिनट तक शिव योग रहेगा। साथ ही इसके बाद सिद्धि योग शुरू होगा। इन योगों में नागों का पूजा करने का दोगुना फल प्राप्त होता है।

नाग पंचमी पूजा विधि

नाग पंचमी के दिन कालसर्प दोष पूजा के साथ- साथ राहु दोष की भी पूजा कर सकते हैं। नाग पंचमी के दिन लोग सापों की आकृति दीवार पर बनाकर पूजा करते हैं। साथ ही इस दिन सापों को दूध चढ़ाने का भी विधान है। नाग देवता की पूजा के लिए चौकी पर नाग देवता का चित्र या मूर्ति स्‍थापित करें। फिर नाग देवता का आह्वान करें। उन्‍हें हल्‍दी, रोली, चावल से तिलक लगाएं। फूल नाग देवता की कथा जरूर पढ़ें और आखिर में नाग देवता की आरती करें। माना जाता है कि इस दिन घर के मुख्य द्वार पर अगर सर्प का चित्र बनाया जाए तो उस घर में नाग देवता की खास कृपा होती है।

महत्व: नाग पंचमी के दिन अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट, शंख, कालिया और पिंगल नामक देव नागों की पूजा की जाती है। जो लोग इस दिन नाग देवता के साथ ही भगवान शिव की पूजा और रुद्राभिषेक करते हैं, उनके जीवन से सभी कष्ट खत्म हो जाते हैं। साथ ही आगर कुंडली में राहु और केतु से कोई दोष लग रहा है तो इस दिन नागों की पूजा करने से राहु ग्रह और केतु ग्रह की अशुभता भी दूर होती है।