वैदिक ज्योतिष अनुसार कुंडली में कुछ ऐसे अशुभ योग होते हैं, जो अगर जन्मकुंडली में विराजमान हो तो मनुष्य की पूरी जिंदगी संघर्ष में निकल जाती है। ऐसा ही एक दोष होता है कालसर्प दोष। जिसको शास्त्रों में राहु और नाग दोष भी कहा गया है। यह दोष जिस व्यक्ति की जन्मकुंडली में होता है। उस व्यक्ति को भाग्य का साथ नहीं मिलता है। साथ ही उसको वैवाहिक जीवन और करियर में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शास्त्रों में कालसर्प दोष शांति के लिए नाग पंचमी का दिन सबसे उत्तम माना गया है। इस साल नाग पंचमी 2 अगस्त को पड़ रही है। साथ ही इस दिन शिव योग भी बन रहा है। जिसमें कालसर्प दोष पूजा शांति सबसे उत्तम मानी जाती है। आइए जानते हैं शिव योग का मुहूर्त और काल सर्प शांंति की पूजा- विधि…

नागपंचमी तिथि 
पंचमी तिथि प्रारंभ:   2 अगस्त 2022, मंगलवार, प्रातः 05:14 से 
पंचमी तिथि समाप्त: 3 अगस्त 2022, बुधवार, प्रातः 05:42 पर 
नाग पंचमी पूजा मुहूर्त: 2 अगस्त 2022, मंगलवार, प्रातः 06:06 से प्रातः 08:42 तक

इन योगों में करें भगवान शिव की पूजा:

वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल नाग पंचमी पर दो शुभ योग भी बन रहे हैं। 2 अगस्त को नाग पंचमी शिव योग और सिद्धि योग में मनाई जाएगी। इस दिन शाम 06 बजकर 39 मिनट तक शिव योग रहेगा। इसके बाद सिद्धि योग शुरू होगा। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस योग में रुद्राभिषेक करना भी मंगलकारी माना जाता है।

रुद्राभिषेक सामग्री: शास्त्रों के अनुसार कालसर्प दोष की पूजा में गाय का घी, दीपक, गंध, पुष्प, कपूर, मौसमी फल, चंदन, धूप, पान का पत्ता, सुपारी, नारियल, भांग, धतूरा, बिल्वपत्र आदि की व्यवस्थ्या करनी होती है। जिस मनोकामना पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक कराना चाहते हैं उससे संबंधित चीजें दूध, दही, शहद, गन्ने का रस, श्रृंगी (गाय के सींग से बना अभिषेक का पात्र) आदि। शिव जी की पूजा में रोली का प्रयोग न करें।

नाग पंचमी पूजा मंत्र
सर्वे नागाः प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।
ये च हेलिमरीचिस्था येऽन्तरे दिवि संस्थिताः॥
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिनः।
ये च वापीतडगेषु तेषु सर्वेषु वै नमः॥
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शङ्ख पालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा॥
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायङ्काले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषतः।
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्॥