15 अगस्त को नाग पंचमी है। नाग पंचमी के दिन सांप की पूजा की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे क्या मान्यता है? यदि नहीं तो आज हम आपको इस बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। दरअसल हिंदू धर्म में देवी-देवताओं के साथ ही उनके प्रतीकों और वाहनों की भी पूजा की जाती है। मालूम हो कि हिंदू धर्म में नाग(सांप) को शिव जी के गले का हार और विष्‍णु जी की शैय्या कहा गया है। ऐसे में माना जाता है कि नाग की पूजा करने से शिव जी और विष्णु जी भी प्रसन्न होते हैं। वैसे नाग पचंमी के त्योहार को शिव जी से ही जोड़ा जाता है। मान्यता है कि नाग पंचमी पर सांप की पूजा करने से शिव जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

नागों(सांपों) का लोकजीवन से भी गहरा संबंध बताया गया है। सावन के महीने में काफी वर्षा होती है। ऐसे में सांप अपनी बिल से निकलकर बाहर आ जाते हैं। इस स्थिति में मनुष्यों को उनसे नुकसान पहुंचने की संभावना बढ़ जाती है। मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन सांप की पूजा करने से व्यक्ति को उससे होने वाला संभावित नुकसान समाप्त हो जाता है। नाग पंचमी पर सांप को दूध पिलाने का भी विधान है। हालांकि जानकारों की राय है कि सांप को दूध पिलाने से बचना चाहिए। सांप के दूध पीने से उसकी तबीयत बिगड़ सकती है।

दूध को चंद्रमा का प्रतीक माना गया है। इसके साथ ही भगवान शिव के मस्तक पर भी चंद्रमा विराजमान है। ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक ग्रह बताया गया है। मन को शिव के प्रति समर्पण के उद्देश्य से भी नाग पंचमी पर सांप को दूध पिलाया जाता है। नाग(सांप) को शिव का सेवक भी कहा जाता है। सांप शिव जी के गले में विराजमान है। ऐसा माना जाता है कि नाग(सांप) पृथ्वी को संतुलित करते हैं। ऐसे में उनकी उपासना का महत्व और भी बढ़ जाता है।