हिंदू धर्म में नाग पंचमी का खास महत्व है। इस दिन देश के कई हिस्सों में सर्प की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इससे शिव जी प्रसन्न होते हैं और भक्त पर उनकी कृपा बरसती है। नाग पंचमी पर पूजा की एक खास विधि बताई गई है। माना जाता है इस विधि का पालन करके शिव को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है। चलिए जानते हैं नाग पंचमी की पूजा विधि और इसका शुभ मुहूर्त।

पूजा विधि: नाग पंचमी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर साधक पूजन स्थान को पवित्र कर कुशा का आसन स्थापित करें। सबसे पहले हाथ में पानी लेकर अपने ऊपर व पूजन सामग्री पर छिड़कें। इसके बाद कलश स्थापित करके पूजा आरंभ करें। नागपंचमी के दिन दही, दूध, कुशा, गंध, पंचामृत, पुष्प, घी, फल, खीर के द्वारा नागों की पूजा की जाती है। इस दिन ब्राह्मण को भोजन करवाएं और स्वंय भी यही भोजन करें। कलश पर एक पात्र में प्राण प्रतिष्ठा युक्त अभिमंत्रित सर्प-सर्पनी स्थापित करें। साथ ही कलश पर अभिमंत्रित तीन तांबे के सिक्के एवं तीन तांत्रिक कौड़ियां सर्प-सर्पनी के साथ रख दें।

इसके बाद सभी केसर का तिलक लगाएं, अक्षत चढ़ाएं, पुष्प चढ़ाएं तथा काले तिल, चावल व उड़द को पकाकर शक्कर मिश्रित कर उसका भोग लगाएं। फिर घी का दीपक जलाकर निम्न मंत्र का जाप 11 माला करें। नागपंची के दिन घर के बाहर मिट्टी का पांच फनों वाला नाग बनवाकर नाग की पूजा करनी चाहिए। नाग बनाकर धूप, घी चमपा आदि के फूलों से पूजा पाठ करनी चाहिए। ‘ऊँ नमोस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथिवीमनु ये अंतरिक्षे ये दिवितेभ्यः सर्पेभ्यो नमः स्वाहा।’ इस मंत्र का जाप करके अगले दिन प्रातः कलश पर रखा जल शिवलिंग पर किसी मंदिर पर चढ़ा दें। प्रसाद बैल को खिला दें तथा सर्प-सर्पनी, कौड़िया एंव सिक्के लाल कपड़े में बांधकर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें।

शुभ मुहूर्त: नाग पंचमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 54 मिनट से आरंभ हो रहा है। यह सुबह 8 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।