Naam Jap: तत्परता और आसक्त होकर नाम जप करने से व्यक्ति के जीवन में उल्लासमय हो जाता है।अपने आराध्य से अविचल प्रेम हो जाता है और जीवन में खुशियां ही खुशियां आती है। नम जप आप किसी आराध्य का करते हैं ये आपके ऊपर निर्भर है। नाम जप एक ऐसी चीज है जिसके लिए किसी देवी-देवता या फिर गुरु से लेने की जरूरत नहीं है। इसे आप कभी भी किसी भी समय से आरंभ कर सकते हैं। कई साधक राधा रानी, श्री राम, श्री कृष्ण, शिव जी या फिर अन्य आराध्य का नाम जप करते हैं। प्रभु का नाम लेने मात्र से व्यक्ति के हर एक कष्ट दूर हो जाते हैं। लेकिन कई बार होता है कि काफी समय तक नम जप करने के बाद भी ऐसा महसूस होता है कि इसका कोई प्रभाव नहीं है। ऐसे में मन में एक शंका उत्पन्न हो जाती है। ऐसे में नम जाप का पूर्ण फल नहीं मिल पाता है। प्रेमानंद महाराज ने बताया है कि अगर आपको ये 5 संकेत मिल जाएं, तो समझ लेना कि आपका नाम जाप सफल हो गया है। आपके ऊपर आपके आराध्य की विशेष कृपा आना शुरू हो चुकी है।
नाम जप का महत्व
नाम जप की शक्ति के बारे में कई शास्त्रों में विस्तार से बताया गया है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति नाम जप करता है उसके करोड़ों जन्मों के पाप धुल जाते हैं।
श्लोक
यस्य स्मृत्या च नामोक्त्या तपोदानक्रियादिषु।
न्यूनं सम्पूर्णतां याति सद्यो वन्दे तमच्युतम्॥
अर्थ
इस श्लोक का मतलब है कि भगवान के दिव्य नाम का उच्चारण करने से तप, दान और सभी धार्मिक कार्यों में जो भी न्यूनता हो वह सब संपूर्ण हो जाते हैं।
अवशेनापि यन्नाम्नि कीर्तिते सर्वपातकैः।
पुमान् विमुच्यते सद्यः सिंहत्रस्तैर्मृगैरिव॥
जैसे व्याघ्र (शेर) से डरकर हिरण भागते हैं, उसी प्रकार भगवान का नाम सुनकर पापजनित दुरित भी दूर भागते हैं।
नाम जप सफल होने पर मिलते हैं ये संकेत
श्री नारायण स्वामी अपने ग्रंथ अनुराग रस के 136 छंद में इस बारे में बताया है। इस छंद में कहा गया है कि कोई व्यक्ति अगर नाम जप करता है, तो उसे हर तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है और जीवन सफल हो जाता है। इसके साथ ही अगर व्यक्ति को नाम जप करते-करते ये संकेत मिल जाते हैं, तो समझ लें कि उसके ऊपर उसके आराध्य की विशेष कृपा है।
नारायण हरि प्रीती में, यह पांचो न सुहात |
विषय भोग निद्रा हँसी, जगत प्रीती बहुबात ||
अर्थ- श्री नारायण स्वामी के अनुसार, नाम जप करने से साधक को विषय भोग, नींद, हंसी, जगत प्रीत और व्यर्थ में बोलना बिल्कुल भी पसंद नहीं आता है।
विषय भोग
विषय भोग यानी जब आपकी इंद्रियां अपने सुख विलास के लिए विषयों से अधिक प्रवृत्ति से हट जाती है। आपका मन भटकता नहीं है।
नींद
कहा जात है कि जो सोए सो खोए, जागे सो पाएं। यानी व्यक्ति के अंदर से आलस्य, सुस्ती समाप्त हो जाती है।
अधिक हंसी मजाक करना
नाम जप करने से से व्यक्ति की बेकार में हंसी ठिठोली करनेकी आदत समाप्त हो जाती है। आपको याद तो होगा कि हंसी ठिठोली के कारण कैसे महाभारत का अंत हुआ। हंसी-मज़ाक में ही द्रौपदी ने दुर्योधन से कहा था कि अन्धे की अन्धी संतान और इसी हंसी मजाक का परिणाम कितना भयानक निकला था।
जगत प्रीत
अगर आपका नाम जाप सफल हो गया है, तो समझ लें कि आपका जगत प्रीति से आपका दिल हट जाएगा। क्योंकि संसार में हर कोई स्वार्थ से भरा है। इसलिए नाम जप करने से आपका दूसरे के प्रति बेकार में प्यार दिखाना भी कम हो जाएगा।
बहुबात
बहुबात यानी व्यर्थ में बोलना वाला व्यक्ति। कहा जाता है कि नाम जप करने से व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता बढ़ती है। इससे बेकार में बोलने की आदत समाप्त हो जाती है। नाम जप करने से आपकी ये आदत समाप्त होती है और आपके द्वारा बोली गई कोई बात काफी महत्वपूर्ण बन जाती है।