लंका नगर के प्रवेश द्वार पर पहरा देने काम लंकिनी का था। लंकिनी लंका राज्य की सुरक्षा प्रभारी थी। लंका में प्रवेश के लिए लंकिनी की आज्ञा जरूरी होती थी। बिना उसकी आज्ञा कोई भी लंका के अंदर प्रवेश नहीं कर सकता था। लंकिनी बेहद शक्तिशाली व बलवान स्त्री थी जिसे रावण ने मुख्यतया लंका की सुरक्षा का उत्तरदायित्व दिया था।
पौराणिक कथा के मुताबिक जब हनुमान जी लंका में माता सीता के खोज में प्रवेश करने लगे तो प्रवेश द्वार पर बजरंगबली का सामना लंकिनी से हुआ। आज हम इसी बारे में जानेंगे कि लंकिनी कौन थी और ब्रह्म देव ने उसे क्या कार्य सौंपा था।
लंकिनी को भगवान ब्रह्मा ने सौंपा लंका की सुरक्षा का प्रभार
रावण को भगवान ब्रह्मा से वरदान स्वरूप सोने की लंका मिलने के बाद से रावण बेहद प्रसन्न था, तभी ब्रह्मा से लंकिनी को लंका राज्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी थी। लंका का प्रभार मिलने के बाद लंकिनी ने भगवान ब्रह्मा से पूछा था कि उसे कब तक लंका की सुरक्षा करनी पड़ेगी। इसपर ब्रह्म देव ने कहा था एक दिन आएगा जब वानररूपी भगवान आएंगे और तुमको युद्ध में परास्त करेंगे तो समझ जाना कि तुम्हारा कार्य पूर्ण हुआ और तुम मुक्त हो जाओगी।
जब माता सीता की खोज में हनुमान लंका पहुंचे
समुद्र लांघकर माता सीता की खोज में लंका आए हनुमान जी जब लंकिनी को चकमा देकर लंका में प्रवेश करने की कोशिश करने लगे तो लंकिनी ने उन्हें देख लिया और रोक लिया।
मसक समान रूप कपि धरी। लंकहि चलेउ सुमिरि नरहरी॥
नाम लंकिनी एक निसिचरी। सो कह चलेसि मोहि निंदरी॥1॥
इसके बाद लंकिनी से हनुमान से लंका में प्रवेश का कारण पूछा (Lankini Hanuman Samvad) तो हनुमान जी ने भी सच न बोलकर कहा कि लंका देखने और विचरण करने आए हैं। लेकिन लंकिनी समझदार थी उसने तुरंत हनुमान जी के मंशा को भांप लिया और उनपर आक्रमण करने दौड़ी।
लंकिनी पर हनुमान जी का प्रहार
जब लंकिनी ने हनुमान जी के ऊपर आक्रमण (Hanuman Lankini Fight) किया तो बजरंगबली ने स्त्री से युद्ध करना और उसका वध करना उचित नहीं समझा, इसलिए हनुमान जी ने अपने एक जोरदार प्रहार से लंकिनी को चारों खाने चित कर दिया। लंकिनी गिरकर अचेत हो गई और उसके मुंह से रक्त बहने लगा। इसके बाद लंकिनी को ब्रह्म देव की बात याद आ गई।
हनुमान से लंकिनी ने क्यों मांगी थी क्षमा
ब्रह्म देव की बात याद आते ही लंकिनी ने हनुमान जी से क्षमा मांगी व उन्हें सारा वृतांत सुनाया। इसके बाद लंकिनी ने हनुमान जी से कहा कि उन्हें समझ आ गया है कि अब राक्षसों के अंत का समय निकट है। इसके साथ ही ब्रह्म देव के कहे अनुसार लंकिनी का उत्तरदायित्व अब समाप्त हो चुका है। इसलिये वे उन्हें क्षमा करें ताकि वह पुनः ब्रह्म लोक जा सके। हनुमान जी से क्षमा मांगने के बाद लंकिनी पुनः ब्रह्म लोक की ओर चली जाती है।
लंकिनी को भगवान ब्रह्मा का श्राप मिला था
पौराणिक कथा के अनुसार लंकिनी एक बहुत ही सुंदर स्त्री थी, जो पहले ब्रह्म लोक की सुरक्षाधिकारी थी। एक बार लंकिनी को घमंड आ गया कि वही सबकुछ है, इसी अहंकार के कारण ब्रह्मा जी ने उसे राक्षस नगरी का प्रहरी बना दिया था। जब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो उसने माफी मांगी और मुक्ति का उपाय पूछा तो ब्रह्मा जी ने एक वानर के द्वारा उस पर प्रहार करके उसे मुक्ति देने का उपाय बताया था।