भारत में कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं जो लोगों की आस्था का केंद्र बने हुए हैं। इन मंदिरों को लेकर अजब-गजब मान्यताएं भी प्रचलित है। यहां हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश के भलेई माता के मंदिर की जहां हर दिन भक्तों का तांता लगा रहता है। लेकिन नवरात्र के दिनों में यहां भक्तों की संख्या आम दिनों के मुकाबले ज्यादा बढ़ जाती है। यह मंदिर अपनी एक अजब मान्यता को लेकर प्रसिद्ध है। जिस पर श्रद्धालु यकीन रखते हैं। इस जगह को लेकर मान्यता है कि इस मंदिर में देवी माता की मूर्ति को पसीना आता है। लोगों में प्रचलित है कि जिस समय माता की मूर्ति को पसीना आता है उस समय वहां मौजूद लोगों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। इस मंदिर को लेकर यहां के पूजारियों का कहना है कि देवी माता इसी गांव में प्रकट हुई थी। उसके बाद ही इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। तब से लेकर आज तक यहां हमेशा श्रद्धालुओं का तांता इस इंतजार में लगा रहता है कि कब देवी को पसीना आए और उनकी मनोकमना पूर्ण हो जाए।
तमिलनाडु का कार्तिकेय मुरुगा का सिक्क्कल सिंगारवेलावर मंदिर। इस मंदिर को लेकर भी लोगों की मान्यता है कि यहां मौजूद भगवान की मूर्ति को पसीना आता है। इस मंदिर के रहस्य के बारे में आज तक कोई पता नहीं लगा पाया है। यहां हर साल अक्टूबर से नवंबर के बीच आयोजित किये जाने वाले त्यौहार में भगवान सुब्रमण्य की पत्थर की मूर्ति से पसीना टपकता है। कहा जाता है कि यह त्योहार राक्षस सुरापदमन पर भगवान सुब्रमण्य की जीत की खुशी में मनाया जाता है। एक कथा अनुसार मूर्ति को आने वाला यह पसीना राक्षस को मारने के लिए उत्सुकता से इंतजार करते हुए भगवान सुब्रमण्य के क्रोध का प्रतीक है और जैसे-जैसे त्योहार समाप्ति की ओर बढ़ता है तो यह पसीना कम होने लगता है। मंदिर के पुजारी भगवान के पसीने को जल के रूप में लोगों पर छिड़काव भी करते हैं।
मध्यप्रदेश के जबलपुर में स्थित मां काली के मंदिर को लेकर भी ऐसी ही मान्यता प्रचलित है कि यहां माता को जरा सी भी गर्मी बर्दाश्त नहीं हो पाती है। जिस कारण इस स्थान पर हमेशा एसी चला रहता है। जबलपुर में मां काली की भव्य प्रतिमा को लगभग 600 साल पहले गोंडवाना साम्राज्य के दौरान स्थापित किया गया था। तभी से यहां माता को गर्मी लगने की मान्यता चली आ रही है।