Muharram 2025 Date: इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम होता है। इस्लाम धर्म में इस महीने को बेहद पवित्र और खास माना जाता है। इस्लाम में कुल चार पवित्र महीने माने जाते हैं और मुहर्रम उन्हीं में से एक है। इस महीने में जंग करने की मनाही होती है और लोग खुदा की इबादत में लीन रहते हैं। इस्लाम धर्म में मान्यता है कि इस महीने में किए गए अच्छे कामों का फल कई गुना बढ़कर मिलता है। इस्लामी कैलेंडर को हिजरी कैलेंडर भी कहते हैं, जो चंद्रमा के हिसाब से चलता है। इस वजह से इसकी तारीखें हर साल बदलती रहती हैं। इस कैलेंडर के हिसाब से नया महीना तब शुरू होता है, जब नया चांद दिखाई देता है। साल 2025 में मुहर्रम की तारीख को लेकर लोगों के मन में असमंजस है। ऐसे में आइए जानते हैं भारत में मुहर्रम की तारीख।
कब से शुरू होगा मुहर्रम 2025?
इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, इस बार मुहर्रम शुरुआत 26-27 जून 2025 की रात से मानी जा रही है। जैसे ही आसमान में नया चांद नजर आएगा, वैसे ही इस्लामी नए साल की शुरुआत हो जाएगी। हालांकि इसकी तारीख चांद दिखने पर ही तय होती है। मुहर्रम के दसवें दिन को आशूरा कहा जाता है, जो बेहद खास और दुख भरा दिन होता है। साल 2025 में आशूरा की तारीख 5 या 6 जुलाई को पड़ने की संभावना है। भारत में आमतौर पर मुहर्रम के 10वें दिन यानी 6 जुलाई 2025, रविवार को आशूरा मनाया जाएगा।
मुहर्रम क्यों है इस्लाम का पवित्र महीना?
मुहर्रम को इस्लाम में चार पवित्र महीनों में से एक माना गया है। इस महीने में युद्ध करना मना है। मुसलमान इस महीने में खुदा की इबादत करते हैं, रोजा रखते हैं और नेक कामों में आगे रहते हैं। मुहर्रम के 9वें और 10वें दिन रोजा रखने का भी खास महत्व होता है।
क्या है आशूरा और क्यों मनाया जाता है?
आशूरा मुहर्रम महीने का 10वां दिन होता है। इस दिन की सबसे बड़ी वजह है कर्बला का दर्दनाक इतिहास। इस दिन इस्लाम धर्म के पैगंबर मोहम्मद साहब के नाती हजरत इमाम हुसैन और उनके परिवारवालों को इराक के कर्बला मैदान में शहीद कर दिया गया था। हजरत इमाम हुसैन ने उस समय के जालिम शासक यजीद के सामने झुकने से इनकार कर दिया था। वे अपने परिवार और करीब 72 साथियों के साथ कर्बला पहुंचे थे। यजीद की सेना ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया था। हालात इतने खराब हो गए कि बच्चों तक को पानी नहीं दिया गया। इमाम हुसैन का 6 महीने का बेटा अली असगर भी वहीं शहीद हुआ था। आखिरकार, 10 मुहर्रम (आशूरा) के दिन इमाम हुसैन को भी शहीद कर दिया गया।
क्यों मनाया जाता है मुहर्रम में शोक?
मुहर्रम सिर्फ नए साल का महीना नहीं बल्कि त्याग, बलिदान और सत्य के लिए लड़ाई का प्रतीक बन गया है। इमाम हुसैन और उनके परिवार की कुर्बानी को याद करते हुए इस महीने को शोक के रूप में मनाया जाता है। वही, कई जगहों पर इस दिन ताजिए निकाले जाते हैं, लोग कर्बला की घटना को याद कर मातम मनाते हैं। इसलिए मुहर्रम को शोक का महीना कहा जाता है और मुसलमान पूरी श्रद्धा के साथ इस महीने में इबादत करते हैं।
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