Muharram (Ashura) 2020 Date in India: मुसलमानों के लिए मुहर्रम का महीना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इस्लामिक कैलेंडर में मुहर्रम पहला महीना होता है। हालांकि, मुहर्रम के महीने को मुस्लिम समुदाय में ग़म के महीने के रूप में मनाया जाता है। ये माह शिया मुसलमानों के लिए काफी अधिक महत्वपूर्ण है। साल 2020 में 21 अगस्त से मुहर्रम की शुरुआत हो चुकी है। हिजरी संवत के पहले महीने मुहर्रम की दसवीं तारीख को रोज-ए-अशुरा कहा जाता है। इस बार अशुरा 28 या 29 अगस्त को पड़ेगा। बता दें कि इस दिन को पैगम्बर मोहम्मद के नाती इमाम हुसैन की शहादत के याद में मनाया जाता है। आइए जानते हैं विस्तार से –

माना जाता है शोक का दिन: इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार इराक की राजधानी बगदाद से करीब 100 किलोमीटर दूर एक कस्बा है, जिसका नाम कर्बला है। इस कस्बे में खलीफा यजीद बिन मुआविया के लोगों ने मोहम्मद साहिब के नाती हजरत इमाम हुसैन के अलावा कई दूसरे मासूमों को शहीद कर दिया था। यही कारण है कि इस पूरे महीने भर लोग मातम मनाते हैं और हर तरह के जश्न से दूर रहते हैं। बता दें कि जिस दिन मुहर्रम का चांद नजर आ जाता है, तब से ही लोग गमगीन हो जाते हैं। महिलाएं अपनी चूड़ियां तोड़ लेती हैं।

शिया और सुन्नी अलग तरीके से मनाते हैं त्योहार: मुहर्रम शिया और सुन्नी समुदाय के लोग अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। शिया मुसलमान मुहर्रम के शुरुआती 9 दिन रोजा रख सकते हैं, जबकि 10वें दिन रोजा रखने को शिया उलेमी हराम मानते हैं। वहीं, सुन्नी मुस्लिम मुहर्रम महीने के नौंवे और दसवें तारीख को रोजा रखते हैं। शिया मुसलमानों के घर में करीब आने वाले 2 महीने और 8 दिनों में किसी प्रकार का कोई उत्सव या आयोजन नहीं होता है।

अशुरा पर क्या करने का है रिवाज: इस महीने के दसवें दिन यानी यौम-ए-अशुरा पर इमाम हुसैन की याद में लोग जुलूस निकालते हैं। अधिकतर शिया मुसलमान इन जुलूसों में शामिल होते हैं। साथ ही इमाम हुसैन के ताजिया को ले जाते हैं। वहीं, इस दिन उपवास रखने का भी प्रावधान है और लोग उन्हें याद करते हैं। पुरुष और महिलाएं काले वस्त्र पहनती हैं और मातम मनाते हैं। इस दिन कुछ लोग खुद को जंजीरों और छुरियों से चोट भी पहुंचाते हैं।