Muharram (Ashura) 2020 Date: इस साल मुहर्रम 21 अगस्त, गुरुवार से शुरू हुआ है। 18 सितंबर, शुक्रवार को यह समाप्त हो जाएगा। इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक मुहर्रम नए साल का पहला महीना होता है। मुहर्रम हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया जाता है।मान्यता है कि हिजरी महीने की 10 तारीख को हजरत इमाम हुसैन शहीद हुए थे। इसलिए इस दिन जुलूस निकाल कर हजरत इमाम हुसैन को याद किया जाता है। इस दिन को रोज-ए-अशुरा कहते हैं।
मुहर्रम क्यों मनाया जाता है (Muharram History): इराक में एक बादशाह था। उसका नाम यजीद था जो इंसानियत का दुश्मन था। यजीद खुद को खलीफा मानता था। वह अल्लाह में विश्वास नहीं रखता था। फिर भी वह पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन को अपनी सेना में शामिल करना चाहता था। हजरत इमाम हुसैन उसके नापाक इरादों को जानते थे। इसलिए वह उस के खेमे में शामिल नहीं होना चाहते थे। यही कारण था कि यजीद और हजरत इमाम हुसैन के बीच युद्ध छिड़ा।
यजीद हजरत इमाम हुसैन के अपने साथ ना मिलने की खबर से बहुत गुस्से में था। इसलिए उसने गद्दारी कर इमाम हुसैन समेत उनके परिवार के सदस्यों और दोस्तों को शहीद कर दिया। माना जाता है कि हिजरी मुहर्रम के महीने में ही हुसैन, उनके परिवार और दोस्तों को शहीद किया गया था। इसलिए इस पूरे महीने में उनके प्रति शोक प्रकट किया जाता है।
मुहर्रम का महत्व (Muharram Ka Mahatva/ Muharram Significance/ Muhurram Importance): मुहर्रम हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए मनाया जाता है। मान्यता है कि हजरत इमाम हुसैन हर हालत में इस्लाम धर्म की रक्षा करना चाहते थे। इसलिए ही उन्होंने अपने प्राणों की भी चिंता नहीं की और परिवार और दोस्तों समेत जान की कुर्बानी दे दी। उन्हें याद करते हुए लोग अपना दुख प्रकट करते हैं। कहते हैं कि इमाम हुसैन से धर्म की रक्षा के लिए मरने का साहस सीखना चाहिए।