Muharram 2018: मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर के पहले माह के 10 वें दिन पड़ता है। इस दिन को शोक दिवस के रूप में मनाया जाता है। मुहर्रम इस्लाम के प्रमुख चार महीनों में से एक है और इसे रमजान के बाद दूसरा पवित्र महीना माना गया है। मुहर्रम हिजरी संवत का प्रथम महीना है। मुहर्रम एक ऐसा महीना है, जिसमें शिया मुस्लिम दस दिन तक इमाम हुसैन की याद में शोक मनाते हैं। इस साल मुहर्रम 21 सितंबर को है। ये दिन मोहम्मद पैगम्बर के नवासे इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया जाता है। यह मातम का दिन है। शिया समुदाय के लोग पूरे मुहर्रम में खुद को खुशियों से दूर रखते हैं। और खुद को दुख-तकलीफ देकर हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं।
शिया मुसलमान मुहर्रम के 10 दिनों तक काले कपड़े पहनते हैं। इसकी वजह यह है कि मुहर्रम को मातम और दुख का महीना माना गया है। और काला रंग इसी भाव को दर्शाता है। बताते हैं कि इराक में एक यजीद नाम का बादशाह था। वह बहुत ही जालिम था। हजरत इमाम हुसैन ने उसके खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया था। मोहम्मद-ए-मस्तफा के नवासे हजरत इमाम हुसैन को कर्बला नामक स्थान में परिवार व दोस्तों के साथ शहीद कर दिया गया था। जिस महीने में हुसैन और उनके परिवार को शहीद किया गया था, वह मुहर्रम का ही महीना था। जिस दिन हुसैन को शहीद किया गया, वह मुहर्रम महीने का 10वां दिन था।
शिया और सुन्नी मुसलमानों में फर्क: सुन्नी मुसलमान खुद को इस्लाम धर्म की सबसे धर्मनिष्ठ और पारंपरिक शाखा का हिस्सा बताते हैं। सुन्नी शब्द ‘अहल अल-सुन्ना’ से बना है, जिसका अर्थ होता है- परम्परा को मानने वाले लोग। यहां पर परम्परा से तात्पर्य ऐसे रिवाजों से है जो पैगंबर मोहम्मद और उनके करीबियों के व्यवहार या दृष्टांत पर आधारित हो। वहीं, इस्लाम की शुरुआत में शिया लोग एक राजनीतिक समूह के रूप में थे। इसका नाम था- ‘शियत अली’ यानी अली की पार्टी। शिया समुदाय के लोग दावा करते हैं कि मुसलमानों का नेतृत्व करने का अधिकार अली और उनके वंशजों को ही है। बता दें कि अली पैगंबर मोहम्मद के दामाद थे। और शिया मुसलमान हजरत इमाम अली के समर्थक हैं।
ताजिया मुहर्रम के दस दिन के बाद ग्यारहवें दिन निकाली जाती है। मुस्लिम लोग इसमें शामिल होते हैं और पूर्वजों की कुर्बानी की गाथा ताजियों के जरिए सभी को बताई जाती है। इस मातम में लोग चिमटेनुमा हथियार से अपने ऊपर वार करते हैं। उनका मानना है कि रक्त से पूर्वजों को सुकून मिलता है। बच्चे बड़े इसमें अपने बाल कटवा कर अपने सिर पर अशुरा का निशान भी बनवाते हैं।