Coral Stone Benefits: रत्न विज्ञान में 9 रत्नों का वर्णन मिलता है। जिसमें से 5 रत्न प्रमुख हैं। जैसे- मूंगा, माणिक्य, पुखराज, मोती और हीरा। आपको बता दें कि हर ग्रह का एक प्रतिनिधि रत्न होता है। जिसका संबंध उस ग्रह से होता है। वहीं रत्न ग्रहों का शुभ प्रभाव बढ़ाकर व्यक्ति को जीवन में तरक्की और सफलता दिलाने का कारक बनते हैं। यहां हम बात करने जा रहे हैं आज मूंगा रत्न के बारे में। मूंगा रत्न का संबंध मंगल ग्रह से है।
ज्योतिष शास्त्र में मंगल को साहस और जोश का कारक माना गया है। साथ ही मंगल ग्रह को ग्रहों का सेनापति भी कहा जाता है। रत्न विज्ञान के अनुसार जिन लोगों का मंगल अशुभ या कमजोर होता है। वह लोग मूंगा धारण कर सकते हैं। आइए जानते हैं मूंगा पहनने के क्या लाभ हैं और इसे धारण करने की सही विधि क्या है।
यहां पाया जाता है मूंगा:
रत्न विज्ञान अनुसार मूंगा लाल, सिंदूरी, गेरुआ और सफेद रंग का होता है। मूंगा रत्न पहनने से मंगल ग्रह मजबूत होता है जिससे इस ग्रह के शुभ प्रभावों में वृद्धि होने लगती है। इस रत्न को अंग्रेजी में कोरल कहते हैं। मूंगा एक प्रकार की लकड़ी होती है, जो समुद्र की गहराई में पाई जाती है।
मूंगा रत्न धारण करने के लाभ:
वैदिक ज्योतिष के अनुसार मूंगा रत्न का संबंध मंगल ग्रह से है, जो शक्ति, बल, साहस व ऊर्जा के स्वामी हैं। यह रत्न राजनीति, नेतृत्व, प्रशासन, सेना, पुलिस, मेडिकल क्षेत्र, तेल, गैस, प्रॉपर्टी, ईंटभट्टे के कार्य इत्यादि व्यापार का कारक है। वहीं किसी व्यक्ति को रक्त से सम्बन्धित कोई परेशानी रहती है तो उसे मूंगा धारण करने से फायदा मिलता है। वहीं अगर किसी व्यक्ति को अज्ञात भय का अनुभव हो तो मूंगा रत्न पहनना रामबाण साबित होगा।
इन लोगों को करता है सूट:
ज्योतिष के अनुसार वृश्चिक और मेष लग्न या राशि वालों के लिए मंगल उनके स्वामी ग्रह हैं और मंगल का रत्न मूंगा पहनने से मंगल ग्रह की ताकत बढ़ती है। जिससे वह व्यक्ति के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता, आकर्षक व्यक्तित्व एवं बल प्रदान करते हैं। साथ ही जिन लोगों की कुंडली में मंगल उच्च के यानि सकारात्मक स्थित हों वो लोग भी मूंगा धारण कर सकते हैं। वहीं अगर कुंडली में नीच का मंगल स्थित है तो मूंगा धारण नहीं करना चाहिए। साथ ही नीलम रत्न के साथ मूंगा नहीं धारण करना चाहिए।
जानिए धारण करने की सही विधि:
रत्न शास्त्र अनुसार मूंगा को सोना, चांदी या तांबे की अंगूठी में बनवाकर धारण किया जा सकता है। अंगूठी को सबसे पहले कच्चे दूध और गंगाजल से धो लें। साथ ही मंगलवार के दिन प्रातःकाल से लेकर दोपहर तक किसी भी समय में आप इसे दाएं हाथ की अनामिका उंगली में मूंगा धारण करें। धारण करने के बाद क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः मंत्र का जप करते रहें। स्त्रियां बाएं हाथ की अनामिका उंगली में मूंगा धारण करें, तो बेहतर रहेगा। ध्यान रहे मूंगा किस धातु में जड़वाना है इसका चयन कुंडली के विश्लेषण के बाद ही करें।