Chandra Mahadasha Effect: वैदिक ज्योतिष मानव जीवन पर ग्रहों और नक्षत्रों का सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह प्रभाव पड़ता है। साथ ही समय- समय पर व्यक्ति के ऊपर नवग्रहों की दशाएं भी चलती हैं। इन दशाओं में व्यक्ति को शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के फल मिलते हैं। साथ ही यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि वह ग्रह आपकी कुंडली में किस स्थिति मेंं विराजमान है। उसके अनुसार बी आपको फल मिलेगा।

यहां हम बात करने जा रहे हैं चंंद्र ग्रह की महादशा के बारे में, जो 10 साल तक रहती है। साथ ही ज्योति मेंं चंद्र ग्रह को मन, माता, मानसिक स्थिति, मनोबल, द्रव्य वस्तुओं, यात्रा, सुख-शांति, धन-संपत्ति, रक्त, बायीं आंख, छाती आदि का कारक माना जाता है। वहीं अगर कुंडली मेंं चंद्र ग्रह कमजोर या अशुभ हो तो व्यक्ति डिप्रेशन में चला जाता है। साथ ही मानसिक विकार रहते हैं। वह धन संचय करने में असफल रहता है।  आइए जानते हैं चंद्र की महादशा का जीवन में प्रभाव और उपाय…

चंद्र ग्रह की महादशा का जीवन में प्रभाव

अगर कुंडली में चंद्र अशुभ हो स्थित

वैदिक ज्योतिष अनुसार चंद्र ग्रह वृश्चिक राशि में नीच के होते हैं। वहीं अगर कुंडली में चंद्रमा अशुभ स्थित हो तो  व्यक्ति को मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ सकती है। इस दौरान व्यक्ति की स्मृति कमज़ोर हो जाती है। माता जी को किसी न किसी प्रकार की दिक्कत बनी रहती है। साथ ही माता के साथ संबंध खराब हो सकते हैं। वहीं  मस्तिष्क पीड़ा, सिरदर्द, तनाव, डिप्रेशन, भय, घबराहट, दमा, रक्त से संबंधित विकार भी चंद्र ग्रह ही देते हैं। वहीं चंद्र ग्रह की महादशा में व्यक्ति को अधिक कष्ट का सामना करना पड़ सकता है।

चंद्र अगर शुभ विराजमान हों तो

वहीं अगर चंद्र ग्रह कुंडली में शुभ स्थित हैं मतलब अगर वह वृष राशि में विराजमान हैं तो जातक मानसिक रूप से सुखी रहता है। उसे मानसिक शांति प्राप्त होती है तथा उसकी कल्पना शक्ति भी मजबूत होती है। वह देखने में आकर्षक होता है। व्यक्ति माता के साथ संबंध अच्छे रहते हैं। चंद्रमा की महादशा में व्यक्ति को अच्छे फल प्राप्त होते हैं।

करें ये उपाय

1- भगवान शिव का करें रुद्राभिषेक करें।

2-  मां के रोज चरण स्पर्श करें।

3-  सोमवार को चावल और दूध का दान करें।

4- रोज 108 बार इस मंत्र का ऊं सों सोमाय नम: जाप करें।