मनचाहा जीवनसाथी पाने की चाह हर किसी को होती है। इसके लिए भगवान से अच्छे जीवनसाथी का वर पाने के लिए उनका व्रत करते हैं। सोमवार का व्रत अधिकतर लोग उनके वैवाहिक जीवन में सुख रहे इसके लिए करते हैं। अगर आप भी एक अच्छे जीवनसाथी को तलाश रहे हैं तो आने वाले कार्तिक माह के पहले सोमवार से आप व्रत शुरू कर सकते हैं। ये दिन माता पार्वती और भगवान शिव का होता है। ऐसी मान्यता है कि 16 सोमवार तक श्र्धापूर्वक करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। कई बार पंडितों और ज्योतिषों द्वारा सलाह दी जाती है कि सिर्फ 16 सोमवार ही नहीं 5 वर्ष तक सोमवार का व्रत करना चाहिए, जिससे जीवन की सभी परेशानियां खत्म हो जाए। इसलिए आज हम आपके लिए सोमवार व्रत की विधि लेकर आए हैं कि किस तरह की विधि अपनाकर आप एक बेहतर जीवनसाथी की कामना पूरी कर सकते हैं।

सोमवार व्रत पूजा विधि-
नारद पुराण के अनुसार सोमवार व्रत में व्यक्ति को प्रातः स्नान कर शिव जी को जल चढ़ाना चाहिए तथा शिव -गौरी की पूजा करनी चाहिए। शिव पूजन के बाद सोमवार व्रत कथा सुननी चाहिए। इसके बाद केवल एक समय ही भोजन करना चाहिए।सोमवार का व्रत साधारणतया दिन के तीसरे पहर तक होता है। यानि शाम तक रखा जाता है। सोमवार व्रत तीन प्रकार का होता है प्रति सोमवार व्रत, सौम्य प्रदोष व्रत और सोलह सोमवार का व्रत। इन सभी व्रतों के लिए एक ही विधि होती है।

सोमवार व्रत कथा-
‘शिव महापुराण’ के अनुसार, जब माता पार्वती और शिव अगस्त्य मुनि से कथा सुनकर कर लौट रहे थे, उसी दौरान भोलेनाथ ने देखा कि उनके आराध्य देव भगवान राम माता सीता के वियोग में भटक रहे हैं। उन्हें देखने के बाद शिव ने उन्हें प्रणाम किया, मगर माता पार्वती के मन में राम की परीक्षा लेने का विचार आया। भोलेनाथ से आग्रह कर वे प्रभु राम की परीक्षा लेने पहुंचीं, लेकिन पार्वती को देखते ही भगवान राम ने पार्वती को माता का संबोधन देते हुए कहा, आप यहां, भोलेनाथ कहां हैं? वहीं भगवान द्वारा पहचाने जाने और माता शब्द के संबोधन को छिपाते हुए पार्वती ने शिव से झूठ का सहारा लिया। पार्वती ने कहा कि भगवान राम ने उन्हें नहीं पहचाना। इसके बाद ध्यान करने पर जब भगवान शिव को पता चला कि राम ने उन्हें माता से संबोधित किया है, तो उन्होंने पार्वती का त्याग कर दिया। पार्वती के त्याग का एक कारण यह भी रहा कि राम ने पार्वती को माता कहा था, इसलिए उन्होंने अपने आराध्य देव की माता को पत्नी रूप से त्याग कर दिया। इससे यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि भगवान शिव अपने भक्तों के लिए कुछ भी कर सकते हैं।