Mokshada Ekadashi 2019 Puja Vidhi, Vrat Katha, Shubh Muhurat, Puja Timings, Parana Timing: मोक्षदा एकादशी को शास्त्रों में मोक्ष का कारक माना गया है। यह मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पड़ता है। साल 2019 में मोक्षदा एकादशी का व्रत 08 दिसंबर, रविवार को रखा जाएगा। धार्मिक ग्रन्थों में उल्लेख मिलता है कि मोक्षदा एकादशी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इस कारण मोक्षदा एकादशी को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है। पुराणों में मोक्षदा एकादशी को बहुत ही शुभ फल प्रदान करने वाला बताया गया है। मान्यता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से पापों का नाश होता है। यह एकादशी मुक्ति प्रदान करने के साथ ही सभी मनोकामनाओं की पूर्ति का करने वाली मानी गई है।

पारण विधि: एकादशी व्रत तोड़ने की विधि को पारण कहा जाता है। एकादशी व्रत के पारण का समय आमतौर पर द्वादशी (एकादशे के अगले दिन) के दिन होता है। एकादशी व्रत समाप्त करने के लिए सबसे अच्छा समय द्वादशी तिथि खत्म होने से पहके का माना गया है। परंतु द्वादशी तिथि जब सूर्योदय से पहले खत्म हो गया हो तो ऐसे में एकादशी का पारण सूर्योदय के बाद करना चाहिए। पारण हरि वासर में नहीं किया जाता है। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि होती है।

मोक्षदा एकादशी पारण शुभ मुहूर्त

– पारण की तिथि: 09 दिसंबर, 2019, दिन- सोमवार

-पारण का समय: सुबह 07 बजकर 01 मिनट से लेकर 09 बजकर 07 मिनट तक

-पारण के दिन द्वादशी तिथि समाप्त होने का समय सुबह 09 बजकर 54 मिनट पर

पूजा विधि: मोक्षदा एकादशी का व्रत करने वाले व्रती को सुबह स्नान के पश्चात घर या मंदिर में विष्णु की पूजा करनी चाहिए। पूजन सामाग्री में धूप, दीप और नैवेद्य का उपयोग करना अच्छा माना गया है। पूजन के बाद विष्णसहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए। एकादशी के व्रती को रात में सोना नहीं चाहिए। एकादशी व्रत के दूसरे दिन (द्वादशी) को पूजा-पाठ के बाद ब्राह्मण-भोजन कराकर उन्हें दक्षिणा देने की मान्यता है।

एकादशी व्रत के नियम: एकादशी व्रत का नियम अन्य व्रत की अपेक्षा थोड़ा कठिन है। ऐसा इसलिए क्योंकि एकादशी तिथि की सूर्योदय से लेकर द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस व्रत को महिला और पुरुष सभी कर सकते हैं। एकादशी के व्रत में मांस, मछली, प्याज, मसूर की दाल का सेवन निषेध माना गया है। व्रत की अवधि में व्रती को ब्रह्मचर्य का पूरी तरह पालन करना चाहिए।