Mohini Ekadashi 2018 Vrat Vidhi, Katha: मोहिनी एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से सुख-समृद्धि आती है। लेकिन इस दौरान सही पूजा विधि का पालन करना अनिवार्य है। मोहिनी एकादशी के पूजन की सही विधि यह है कि इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले जग जाना चाहिए। इसके बाद नित्य क्रिया सम्पन्न करके स्नान वगैरह करके साफ-सुथरा हो जाना चाहिए। एकादशी के दिन लाल वस्त्र से सजाकर कलश की स्थापना करें। भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर के पास पीले रंग को फूलों और मीठे फलों का भोग लगाएं। इसके बाद बड़ी ही श्रद्धा के साथ कथा वाचन करें। रात में व्रती को भगवान की मूर्ति या तस्वीर के पास ही शयन करना चाहिए।
मोहिनी एकादशी व्रत कथा: इस कथा के मुताबिक भगवान विष्णु ने पहली बार मोहिनी एकादशी के दिन ही महिला का रूप धारण किया था। ऐसा उन्हें देवताओं की मदद के लिए करना पड़ा था। दरअसल, समुद्र मंथन से निकले अमृत के पान को लेकर देवाओं और राक्षसों में विवाद हो गया था। राक्षस भी यह चाहते थे कि उन्हें अमृत पान कराया जाए। लेकिन देवता इसके लिए तैयार नहीं थे। देवताओं को यह पता था कि यदि राक्षसों ने अमृत पान कर लिया तो उनका अत्याचार और अधिक बढ़ जाएगा। और इस अत्याचार को रोक पाना काफी मुश्किल होगा।
इस मुश्किल घड़ी में विष्णु जी ने देवताओं की मदद की। उन्होंने मोहिनी नाम की एक अप्सरा का रूप धारण किया और अमृत पान कराने के लिए देवाताओं और राक्षसों के बीच आ गए। इस अप्सरा की खूबसूरती देखकर समस्त राक्षस अपना होश ही खो बैठे। उन्हें इस बात का पता ही नहीं चला कि कब उन्हें उस अप्सरा ने अमृत की जगह जल पान करा दिया। इस प्रकार से विष्णु जी की चालाकी से ब्रम्हाण्ड को राक्षसों के अत्याचार से बचाया जा सका। आगे चलकर इसी दिन मोहिनी एकादशी मनाने की परंपरा शुरू हुई।