Mesh Sankranti 2025: वैदिक पंचांग के अनुसार, आज यानी 14 अप्रैल को मेष संक्रांति है। हिंदू धर्म में मेष संक्रांति को एक बहुत ही शुभ दिन माना जाता है। इस दिन से ही सूर्य देव की नई यात्रा की शुरुआत मानी जाती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, जब सूर्य देव मेष राशि में प्रवेश करते हैं, तब मेष संक्रांति होती है। इस दिन स्नान-दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से साधक को आरोग्य यानी स्वस्थ जीवन का वरदान मिलता है। साथ ही मन की सभी इच्छाएं भी पूरी होती हैं। वहीं इस दिन पवित्र नदियों में डुबकी लगाने से पापों का नाश होता है और मन को शुद्धि मिलती है। ज्योतिष की मानें तो मेष संक्रांति के दिन पूजा-पाठ के अलावा अगर आप सूर्यदेव के इन मंत्रों का जाप करेंगे तो इससे साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।
सूर्य देव के मंत्र
ॐ घृणि: सूर्याय नम:.
ॐ ह्रां ह्रीं सः सूर्याय नमः.
ॐ आदित्याय नमः.
ऊँ हृीं श्रीं आं ग्रहधिराजाय आदित्याय नमः
सूर्य प्रार्थना मंत्र
ग्रहाणामादिरादित्यो लोक लक्षण कारक:।
विषम स्थान संभूतां पीड़ां दहतु मे रवि।।
सूर्याष्टकम मंत्र
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते।
सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम्
श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।
लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम्
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।
त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मविष्णुमहेश्वरम्
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।
बृंहितं तेजःपुञ्जं च वायुमाकाशमेव च
प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।
बन्धुकपुष्पसङ्काशं हारकुण्डलभूषितम्
एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।
तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेजः प्रदीपनम्
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।
तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम्
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।
सूर्य कवच
श्रणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम्।
शरीरारोग्दं दिव्यं सव सौभाग्य दायकम्।।
देदीप्यमान मुकुटं स्फुरन्मकर कुण्डलम।
ध्यात्वा सहस्त्रं किरणं स्तोत्र मेततु दीरयेत्।।
सूर्यदेव की आरती
जय कश्यप-नन्दन, ओम जय अदिति-नन्दन ।
त्रिभुवनतिमिरनिकन्दन भक्तहृदय चन्दन ।। टेक ।।
सप्तअश्वरथ राजित एक चक्रधारी ।
दुःखहारी सुखकारी, मानस मलहारी ।।
ओम जय कश्यप-नन्दन।।
ओम जय अदिति-नन्दन
सुरमुनिभूसुरवन्दित विमल विभवशाली ।
अघदलदलन दिवाकर दिव्य किरणमाली ।।
ओम जय कश्यप-नन्दन।।
सकलसुकर्मप्रसविता सविता शुभकारी ।
विश्वविलोचन मोचन भवबन्धनभारी ।।
ओम जय कश्यप-नन्दन।
ओम जय अदिति-नन्दन।
कमलसमूहविनाशक नाशक रूम तापा ।
सेवत सहज हरत अति मनसिज सन्तापा ।।
ओम जय कश्यप-नन्दन।
ओम जय अदिति-नन्दन।
नेत्र व्याधिहर सुरवर भू-पीड़ाहारी ।
वृष्टिविमोचन सन्तत परहित व्रतधारी ।।
ओम जय कश्यप-नन्दन।
ओम जय अदिति-नन्दन।
सूर्यदेव करुणाकर अब करुणा कीजै ।
हर अज्ञानमोह सब तत्त्वज्ञान दीजै ।।
ओम जय कश्यप-नन्दन।
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