Mauni Amavasya 2025 Puja Vidhi, Vrat Katha, Shubh Muhurat, Samagri, Mantra: हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का विशेष महत्व है। यह त्योहार हर साल माघ महीने में मनाया जाता है। इस दिन पितरों का पिंडदान और तर्पण करने का विधान है। वहीं आपको बता दें कि इस साल मौनी अमावस्या का त्योहार 29 जनवरी को मनाया जाएगा। वहीं इस बार त्रिवेणी योग सहित कई शुभ योग बनने से मौनी अमावस्या का महत्व कई गुना बढ़ गया है। साथ ही इस बार मौनी अमावस्या पर महाकुंभ का दूसरा शाही स्नान भी किया जाएगा। आइए जानते हैं दान- स्नान का शुभ मुहूर्त पूजा- विधि और मंत्र…
मौनी अमावस्या कब से कब तक (Mauni Amavasya 2025 Tithi)
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह की अमावस्या तिथि 28 जनवरी की शाम 7.32 बजे शुरू होगी और 29 जनवरी की शाम 6.05 बजे खत्म होगी।
मौनी अमावस्या स्नान दान का शुभ मुहूर्त
- 29 जनवरी 2025 अमावस्या तिथि ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजकर 30 मिनट से सुबह 6 बजकर 21 मिनट पर
- 29 जनवरी 2025 अमावस्या तिथि लाभ चौघड़िया सुबह 7 बजकर 11 मिनट पर
- अमृत चौघड़िया सुबह 8 बजकर 31 मिनट से 9 बजकर 53 मिनट पर
- शुभ चौघड़िया सुबह 11 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक।
अमृत स्नान का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, 29 जनवरी 2025 को अमृत स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 5.25 बजे से 6.18 बजे तक रहेगा। इसके बाद प्रातः संध्या मुहूर्त 5.51 बजे से 7.11 बजे तक रहेगा। इस मुहूर्त में श्रद्धालु गंगा में स्नान कर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।
बन रहा है ये शुभ योग
वैदिक ज्योतिष अनुसार इस साल मौनी अमावस्या पर इस बार मकर राशि में एक साथ सूर्य, बुध और चंद्रमा विराजमान होकर त्रिवेणी योग बनाएंगे।
मौनी अमावस्या पूजा- विधि
मौनी अमावस्या पर गंगा या किसी पवित्र नदी में सन्नान करना चाहिए। वहीं अगर आप किसी नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर ही गंगाजल डालकर स्नान कर लें। इसके बाद पूजा की चौकी पर एक पीला वस्त्र बिछाएं। साथ ही भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें। वहीं उसको पीली वस्तु का भोग लगाएंं। भगवान विष्णु की आरती और चालीसा गाएं। साथ ही घर के मुख्य द्वार पर जल में हल्दी मिलाकर छींटे लगाएं और साथ ही, घर की चौखट की साफ-सफाई करें।
इन मंत्रों का करें जाप
- ॐ श्री पितराय नम:
- ॐ श्री पितृदेवाय नमः
- ॐ श्री पितृभ्य: नम:
- ॐ श्री सर्व पितृ देवताभ्यो नमो नमः
- ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात् ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम: ॐ आद्य भूताय विद्महे सर्व सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति स्वरूपेण पितृ देव प्रचोदयात्