माघ महीने को पवित्र महीना माना जाता है। इस महीने की मौनी अमावस्या बहुत फलदायी मानी जाती है। साल में 3 अमावस्या का सबसे अधिक महत्व होता है। इसमें सोमवती, शनैश्चरी और मौनी अमावस्या है का सर्वाधिक महत्व है। मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से पुण्यदायी फल मिलता है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान कर पुण्य प्राप्त करते हैं। इस साल 16 जनवरी को देशभरी मौनी अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में इस अमावस्या को सबसे बड़ी अमावस्या माना गया है। शिवपुराण में मौनी अमावस्या के महत्व के बारे में बताया गया है। उसमें कहा गया है कि जो इंसान इस दिन पवित्र नदी में स्नान करते है और सच्चे मन से दान करता है उस पर सभी ग्रहों-नक्षत्रों की विशेष कृपा मिलती है।
इस दिन पूरे विधि-विधान से पूजा करने पर पुण्य का फल मिलता है। मौनी शब्द मौन शब्द से बना है इसलिए कहा जाता है इस दिन मौन रहकर उपवास रखना चाहिए तथा भगवान को याद करना चाहिए। इस दिन क्रोध, लोभ, काम, मोह आदि नहीं करना चाहिए। इस दिन रात को चंद्रमा नहीं दिखाई देता है। चंद्रमा को मन का स्वामी कहा जाता है। इसलिए इस दिन मन थोड़ा कमजोर हो सकता है। शास्त्रों के मुताबिक इस दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। मौनी अमावस्या 16 जनवरी प्रातः 5.11 बजे आरंभ होगी और 17 जनवरी बुधवार को प्रातः 7.47 बजे खत्म होगी।
पूजा विधि – मौनी अमावस्या के दिन प्रात: काल स्नान करें। घर की पूर्व दिशा में लाल कपड़ा बिछाकर जल से भरे दो कलश में तिल, उड़द व पीपल के पत्तों पर नारियल रखकर कलश स्थापित करें। इसके बाद भगवान शिव जी और विष्णु का पूजन करें। पूजा के दौरान चमेली के तेल का दीपक जलाएं, गूगल से धूप करें। भगवान को लाल फूल, सिंदूर, हल्दी, केसर, चंदन अर्पित करें। इसके बाद गुड़ का भोग लगाकर चंदन की माला से 108 बार ‘ ह्रीं हरिहर मद-गज-वाहनाय नमः॥’ मंत्र का जाप करें। पूजा करने के बाद गाय को गुड़ खिलाएं।
