Vinayak Chaturthi 2025 Date: हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी का विशेष महत्व है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित है। हिंदू पंचांग के अनुसार फागुन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन विनायक चतुर्दशी व्रत रखा जाता है। इस दिन गवान गणेश की पूजा आराधना करने से जीवन के सभी प्रकार के कष्ट से मुक्ति मिलती है। साथ ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस साल मार्च में विनायक चतुर्थी का पर्व 3 मार्च यानी आज रखा जा रहा है। वहीं इस दिन शुक्ल और ब्रह्म योग का संयोग भी बन रहा है। जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। आइए जानते हैं तिथि और शुभ मुहूर्त…

फाल्गुन विनायक चतुर्थी तिथि 2025 

वैदिक पंचांग के अनुसार फागुन माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 2 मार्च को रात्रि 9:02 से आरंभ होकर 3 मार्च को शाम 6:01 पर खत्म होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार विनायक चतुर्दशी का व्रत सोमवार के दिन 3 मार्च को रखा जाएगा।

विनायक चतुर्थी शुभ योग (Vinayak Chaturthi Shubh Yog)

वैदिक पंचांग के मुताबिक फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर शुक्ल और ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष में इन योगों को बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है इन योगों में पूजा का दोगुना फल प्राप्त होता है।

विनायक तिथि शुभ मुहूर्त और पंचांग

  • सूर्योदय – सुबह 06 बजकर 44 मिनट पर
  • सूर्यास्त – शाम 06 बजकर 22 मिनट पर
  • चन्द्रोदय- सुबह 08 बजकर 40 मिनट पर
  • चंद्रास्त- रात 10 बजकर 11 मिनट पर
  • ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 05 बजकर 05 मिनट से 05 बजकर 55 मिनट तक
  • विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 16 मिनट तक
  • गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 20 मिनट से 06 बजकर 45 मिनट तक
  • निशिता मुहूर्त – रात्रि 12 बजकर 08 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक

गणेश आरती (Ganesh Ji Ki Aarti)

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.
एकदन्त दयावन्त, चार भुजाधारी.
माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी.
पान चढ़े फूल चढ़े, और चढ़े मेवा.
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा.
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.
अँधे को आँख देत, कोढ़िन को काया.
बाँझन को पुत्र देत,निर्धन को माया.
सूर श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.
दीनन की लाज राखो, शम्भु सुतवारी.
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी.
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.

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