Mansa Devi Temple in Haridwar: हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की विविध रूपों में पूजा की जाती है, जिनमें से एक प्रमुख देवी हैं मां मनसा। यह मंदिर प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक है। वहीं, मां मनसा को भगवान शिव की मानस पुत्री और नागों के राजा वासुकी की बहन माना जाता है। यह हरिद्वार में शिवालिक पर्वत श्रृंखला की एक ऊंची चोटी पर स्थित है। इस मंदिर में देवी की दो दिव्य मूर्तियां विराजमान हैं। एक मूर्ति में मां के तीन मुख और पांच भुजाएं हैं, जबकि दूसरी मूर्ति में आठ भुजाएं दिखाई देती हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त इस शक्तिपीठ में आता है और सच्ची श्रद्धा से कामना करता है तो देवी उससे प्रसन्न होकर उसकी सभी इच्छाएं पूरी करती हैं। यही वजह है कि हर साल लाखों श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं हरिद्वार स्थित इस शक्तिपीठ की महिमा के बारे में।
हरिद्वार में है यह शक्तिपीठ
माता मनसा देवी का मंदिर हरिद्वार से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर शिवालिक पहाड़ियों की बिलवा पर्वत चोटी पर स्थित है। धार्मिक मान्यता है कि जो भी भक्त यहां सच्चे मन से मुराद लेकर आते हैं, मां उसकी इच्छा पूरी करती हैं। बता दें कि यह मंदिर भारत के 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को लगभग डेढ़ किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़नी होती है। आप केबल कार (उड़नखटोला), कार या बाइक के जरिए भी मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
मां मनसा देवी की महिमा
ऐसा माना जाता है कि मां मनसा देवी के दरबार में जो भी भक्त सच्चे मन से आता है, मां उसकी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। ‘मनसा’ शब्द का अर्थ है – मन की इच्छा। इसी कारण मां को इच्छा पूर्ण करने वाली देवी माना जाता है। यहां आने वाले श्रद्धालु अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए यहां पेड़ की शाखा पर एक पवित्र धागा बांधते हैं। जब उनकी मुराद पूरी हो जाती है, तो वे दोबारा मंदिर आकर उस धागे को खोलते हैं और मां का आशीर्वाद लेते हैं।
भगवान शिव की पुत्री हैं मनसा देवी
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव की तीन पुत्रियां हैं, जिनमें से एक देवी मनसा भी हैं। मनसा देवी को माता पार्वती की सौतेली पुत्री माना गया है। क्योंकि पार्वती ने उन्हें जन्म नहीं दिया। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां मनसा का जन्म उस समय हुआ जब भगवान शिव का वीर्य सर्पों की माता कद्रू की मूर्ति पर गिर गया था। इसलिए देवी मनसा को भगवान शिव की मानस पुत्री कहा जाता है। वहीं, कुछ पौराणिक ग्रंथों में यह भी उल्लेख है कि मनसा देवी का जन्म ऋषि कश्यप के मस्तक से हुआ था और उनकी माता कद्रू थीं।
कैसा है देवी का स्वरूप?
मां मनसा का स्वभाव गुस्से वाला माना जाता है। लेकिन सच्चे मन से देवी की भक्ति करने से मां की विशेष कृपा बरसती है। मां मनसा देवी आमतौर पर सर्प और कमल पर विराजमान होती हैं। हालांकि कुछ जगहों पर उन्हें हंस पर भी विराजते हुए दर्शाया गया है। ऐसा माना जाता है कि सात नाग माता की सदा रक्षा करते हैं। सर्पों पर विराजमान होने के कारण ही उन्हें नागों की देवी कहा जाता है। मां की गोद में उनके पुत्र आस्तिक देव विराजमान हैं। कुछ कथाओं के अनुसार मां मनसा को वासुकी नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि वे नागराज वासुकी की बहन मानी जाती हैं।
यह भी पढ़ें…
धर्म संबंधित अन्य खबरों के लिए क्लिक करें
डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।