Makar Sankranti Snan 2019 Shubh Muhurat, Time, Puja Vidhi, Mantra: सूर्य का मकर राशि में गमन करना संक्रांति कहलाता है इसलिए इस पर्व को मकर संक्रांति के रूप में जानते हैं। मकर संक्रांति माघ महीने की संक्रांति को मनाई जाती है। सूर्य के उत्तरायण होने की स्थिति में सूर्य उत्तर दिशा की ओर गमन करते हैं। इस स्थिति में सूर्य की किरणें वातावरण में एक अनूठी छटा बिखेरती हैं।मकर संक्रांति देशभर में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। दक्षिण भारत में यह पोंगल के नाम से जाना जाता है। वहीं गुजरात और राजस्थान में इसे उत्तरायण के नाम से जाना जाता है। इस दिन देशभर में पतंगबाजी की जाती है।
इसके अलावा मकर संक्रांति से ही दिन बड़ा और रात छोटी होने लगती है। माना जाता है कि इसी दिन से ठंड का समापन भी शुरू जाता है। मकर संक्रांति का पर्व हर साल आमतौर पर 14 जनवरी को पड़ता है। लेकिन पंचांग के अनुसार साल 2019 में मकर संक्रांति 15 जनवरी को पड़ रही है। आगे जानते हैं की इस साल मकर संक्रांति का सुबह मुहूर्त क्या है। साथ ही यह भी जानते हैं की इस बार मकर संक्रांति पर स्नान और दान के लिए क्या शुभ मुहूर्त है।
स्नान-दान का शुभ मुहूर्त: मकर संक्रांति पर इस बार सर्वार्थसिद्धि योग भी बन रहा है। मकर संक्रांति के योग इस बार 2 दिन बन रहा है। सूर्य साल 2019 के मकर संक्रांति की रात्रि (14 जनवरी 2019) 8:08 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे, जो 15 जनवरी (मंगलवार) दोपहर 12 बजे तक तक मकर राशि में रहेंगे। इसलिए 15 जनवरी (मंगलवार) 2019 को दोपहर 12 बजे से पूर्व ही स्नान-दान का शुभ मुहूर्त है। मकर संक्रांति पर स्नान और दान का शुभ मुहूर्त 15 जनवरी 2019 (मंगलवार) को बन रहा है।
दान का महत्व: मकर संक्रांति के दिन स्नान, दान, जप, तप, श्राद्ध और अनुष्ठान का बहुत महत्व है। कहते हैं कि इस मौके पर किया गया दान सौ गुना होकर वापस फलीभूत होता है। इस दिन कई जगह पितरों को जल में तिल अर्पण भी दिया जाता है। कई जगहों पर इस दिन घी-तिल-कंबल-खिचड़ी दान का विशेष महत्व माना जाता है।
मकर संक्रांति पुण्य काल मुहूर्त-
पुण्य काल- सुबह 07:19 से 12:30
पुण्यकाल की कुल अवधि- 5 घंटे 11 मिनट
संक्रांति आरंभ- 14 जनवरी 2019 (सोमवार) रात्रि 20:05 से
स्नान-दान का शुभ मुहूर्त- सुबह 07:19 से 09:02
पुण्य काल की कुल अवधि- 1 घंटा 43 मिनट

Highlights
तिल हम हैं और गुड़ आप,
मिठाई हम हैं और मिठास आप,
साल के पहले त्योहार से हो रही है शुरुआत,
आपको हमारी तरफ से ढे़र सारी मुराद
साल में कुल 12 सूर्य संक्रांति हैं, लेकिन इनमें से मेष, कर्क, तुला और मकर संक्रांति सबसे महत्वपूर्ण होती है। माना जाता है इस दिन भीष्म पितामह ने अपने शरीर का त्याग किया था।
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मकर संक्रांति के दिन सूर्य अपने पुत्र शनि के घर एक महीने के लिए जाते हैं, क्योंकि मकर राशि का स्वामी शनि को माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माना जाता है कि सूर्य और शनि का तालमेल संभव नहीं है, इस दिन को पिता-पुत्र के रिश्ते में निकटता के रुप में देखा जाता है। मकर संक्रांति के दिन के भगवान विष्णु ने असुरों का अंत करके युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी। उन्होनें सभी असुरों के सिरों को मंदार पर्वत में दबा दिया था। इस दिन को नकारात्मकता पर सकारात्मकता की जीत का उत्सव भी माना जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि मकर संक्रांति को देव भी धरती पर अवतरित होते हैं और आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से गोचर करता हुआ मकर राशि में आता है, इसके बाद से दिन बड़े होने शुरु हो जाते हैं और अंधकार का नाश होता है। इस दिन पुण्य, दान, जप तथा धार्मिक अनुष्ठानों का महत्व माना जाता है। इस दिन भगवान को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। कई स्थानों पर इस दिन मृत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए खिचड़ी दान करने की परंपरा भी माना जाती है।
माघ महीने का प्रात: स्नान और प्रयाग में कल्पवास भी मकर संक्रांति के दिन से आरंभ हो जाता है। मकर संक्रांति को देवताओं का प्रात:काल माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन प्रात: स्नान के बाद घी, कंबल, तिल गंगा स्नान करना चाहिए।
मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने को सेहत के लिए भी फायदेमंद समझा जाता है। दरअसल, सुबह की धूम में पतंग उड़ाने से शरीर को ऊर्जा मिलती है। साथ ही विटामिन डी भी मिलता है। धूप से सर्दियों में होने वाली स्किन संबंधी समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है।
मंदिर की घंटी, आरती की थाली, नदी के किनारे सुरज की लाली, जिंदगी में आये खुशियों की बहार, मुबारक हो आपको पतंगों का त्योहार… हैप्पी मकर संक्रांति।
कहते हैं कि मकर संक्रांति के त्योहार पर किया गया दान सौ गुना होकर वापस फलीभूत होता है। इस दिन दान करने वालों को आशीष मिलता है।
मकर संक्रांति के बाद 15 जनवरी से पंचक, खरमास और अशुभ समय समाप्त हो जाएगा। इसके बाद विवाह, ग्रह प्रवेश आदि जैसे शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे। 15 जनवरी के दिन ही उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे कुंभ महोत्सव का पहला शाही स्नान होगा। शाही स्नान के साथ ही देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु कुंभ के पवित्र त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाएंगे।
मकर संक्रांति के अवसर पर देश के कई इलाकों में पतंगबाजी का प्रचलन है। लोग आसमान में रंग-बिरंगे पतंग उड़ाते हैं।
तेलंगाना सरकार ने मकर संक्रांति के त्योहार के मद्देनजर 13 जनवरी और 16 जनवरी को राष्ट्रीय राजमार्गों पर यात्रियों के लिए चुंगी कर (टोल टैक्स) माफ कर दिया है।
मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है। जो लोग किसी कारणवश नदी पर नहीं जा पाते वे घर पर ही स्नान कर पूजा करते हैं। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही मकर संक्रांति के दिन पितरों का ध्यान और उन्हें तर्पण दिया जाता है ताकि घर में खुशहाली आए।
किंवदंतियों के अनुसार, सूर्य जब मकर, कुंभ, वृष, मीन, मेष और मिथुन राशि में रहता है तब इसे उत्तरायण कहते हैं। सूर्य के उत्तरायण में रहने के दौरान मौत होने से मोक्ष प्राप्ति की संभावना होती है। सूर्य के उत्तरायण काल में कोई भी शुभ कार्य किया जाता है। वहीं, जब सूर्य बाकी राशियों सिंह, कन्या, कर्क, तुला, वृच्छिक और धनु राशि में रहता है, तब इसे दक्षिणायन कहते हैं।
मकर संक्रांति पर गायत्री मंत्र के अलावा भगवान सूर्य की पूजा भी की जाती है। इसके लिए इन मंत्रों से भी पूजा की जा सकती है:
1- ऊं सूर्याय नम: ऊं आदित्याय नम: ऊं सप्तार्चिषे नम:
2- ऋड्मण्डलाय नम: , ऊं सवित्रे नम: , ऊं वरुणाय नम: , ऊं सप्तसप्त्ये नम: , ऊं मार्तण्डाय नम: , ऊं विष्णवे नम:
मकर संक्रांति के दिन गंगास्नान का महत्व माना जाता है। पवित्र नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम स्थल प्रयाग में माघ मेला लगता है और संक्रांत के स्नान को महास्नान कहा जाता है। इस दिन हुए सूर्य गोचर को अंधकार से प्रकाश की तरफ बढ़ना माना जाता है। माना जाता है कि प्रकाश लोगों के जीवन में खुशियां लाता है। इसी के साथ इस दिन अन्न की पूजा होती है और प्रार्थना की जाती है कि हर साल इसी तरह हर घर में अन्न-धन भरा रहे।
मकर संक्रांति के दिन स्नान, दान, जप, तप, श्राद्ध और अनुष्ठान का बहुत महत्व है। कहते हैं कि इस मौके पर किया गया दान सौ गुना होकर वापस फलीभूत होता है। इस दिन कई जगह पितरों को जल में तिल अर्पण भी दिया जाता है। कई जगहों पर इस दिन घी-तिल-कंबल-खिचड़ी दान का विशेष महत्व माना जाता है।
मकर संक्रांति पर इस बार सर्वार्थसिद्धि योग भी बन रहा है। मकर संक्रांति के योग इस बार 2 दिन बन रहा है। सूर्य साल 2019 के मकर संक्रांति की रात्रि (14 जनवरी 2019) 8:08 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे, जो 15 जनवरी (मंगलवार) दोपहर 12 बजे तक तक मकर राशि में रहेंगे। इसलिए 15 जनवरी (मंगलवार) 2019 को दोपहर 12 बजे से पूर्व ही स्नान-दान का शुभ मुहूर्त है।
इसके अलावा मकर संक्रांति से ही दिन बड़ा और रात छोटी होने लगती है। मकर संक्रांति का पर्व हर साल आमतौर पर 14 जनवरी को पड़ता है। लेकिन पंचांग के अनुसार साल 2019 में मकर संक्रांति 15 जनवरी को पड़ रही है। आगे जानते हैं की इस साल मकर संक्रांति का सुबह मुहूर्त क्या है। साथ ही यह भी जानते हैं की इस बार मकर संक्रांति पर स्नान और दान के लिए क्या शुभ मुहूर्त है।
सूर्य का मकर राशि में गमन करना ही संक्रांति कहलाती है इसलिए इस पर्व को मकर संक्रांति के रूप में जाना जाता है। मकर संक्रांति माघ महीने की संक्रांति को मनाई जाती है। सूर्य के उत्तरायण होने की स्थिति में सूर्य उत्तर दिशा की ओर गमन करते हैं।