शिवरात्रि महापर्व मनाने के लिए सोमवार को देवताओं के घर देवघर बाबा बैद्यनाथ मंदिर में पंचशूल पूजा की गई। सरदार पंडा गुलाबनंद ओझा के नेतृत्व में पांच पंडितों ने वैदिक मंत्रों के साथ बाबा भोलेनाथ और माता पार्वती मंदिर के शिखर पर लगे पंचशूल को उतारकर विधि विधान से हवन व पूजा अर्चना की। वहीं पंडा बाबा झा बताते है कि अधिकांश मंदिरों में त्रिशूल है लेकिन बैद्यनाथ मंदिर में पंचशूल है। जिसके दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
इन सबके बावजूद इस बार यहां के लोगों में काफी निराशा का माहौल है। दरअसल यहां के उपायुक्त और शिवरात्रि महोत्सव समिति के बीच तालमेल न बैठ पाने की वजह से इस साल शिव बारात देवघर में नहीं निकाली जाएगी। आपको बता दें कि महाशिवरात्रि के इस पावन पर्व पर समिति लगातार 27 सालों से भव्य शिव बारात निकालने का आयोजन करती आई है।
समिति के सक्रिय पदाधिकारी संजय भारद्वाज बताते हैं कि पिछले साल कोरोना की वजह से शिव बारात न निकालने का फैसला समिति ने खुद ही ले लिया था। पिछले वर्ष की भांति इस बार कोरोना का विकराल रूप नहीं है, इसको ध्यान में रखते हुए समिति ने जनवरी में बारात के संबंध में पहल की थी। मगर उपयुक्त ने कोरोना का प्रकोप बताकर शिव बारात निकालने की इजाजत नहीं दी।
भारद्वाज के मुताबिक शिव बारात की तैयारियों के लिए समिति को कम से कम तीन महीने का समय चाहिए। अगर समय से इजाजत मिल गई होती तो हम सभी दो महीने पहले तैयारी कर सकते थे। लेकिन अब इतने कम समय में यह कर पाना संभव नहीं है इसलिए इस बार भी शिव बारात निकालने की परंपरा टूटी रहेगी।
पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि बाबा बैद्यनाथ को स्वयं रावण ने स्थापित किया था। इसलिए इसे रावणेश्वर महादेव भी कहते है। कथाओं के अनुसार शिव तांडव के वक्त भगवान विष्णु के चक्र से कटकर यहां माता पार्वती का हृदय गिरा था। इसलिए इसे कामना लिंग भी कहते है।
डीसी के मुताबिक श्रद्धालुओं के लिए 1 मार्च को पांच बजे सुबह से ही पट खोल दिए जाएंगे इसके बाद शिवलिंग का जलाभिषेक होगा। वहीं दर्शनार्थियों की भीड़ को काबू और पंक्तिबद्ध करने के लिए प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं।
पंडा शिवकुमार पांडे बताते है कि 2020 साल में कोरोना महामारी शुरू होने के पहले ही 21 फरवरी को शिवरात्रि पड़ी थी। साल 2020 की झांकी में कचरा कच्च राक्षस और देश भक्ति झांकी मुख्य आकर्षण के केंद्र में थे। देवघर में शिव बारात देखने के लिए दूर दराज से भक्तगण आते हैं लेकिन इस बार‘देवघर यानी देवताओं का घर’ में अपने अनूठे अंदाज में बाबा की शिव बारात का आयोजन न होने से लोग मायूस है।