Mahashivratri 2024 Shivling Me Jal Chadane Ke Niyam: महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की विधिवत पूजा करने का विधान है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव को समर्पित महाशिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव को विधिवत पूजा-अर्चना करने के साथ दूध, दही, शहद, पंचामृत सहित कई चीजें चढ़ाते हैं। शिवपुराण में कहा गया है कि अगर आप कुछ नहीं चढ़ा सकते हैं, तो सिर्फ जल चढ़ा कर उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर शिवलिंग में जल चढ़ाने का सही तरीका क्या है। आइए जानते हैं शिव पुराण के अनुसार शिवलिंग में किस तरह से जल चढ़ाना चाहिए।
Mahashivratri 2024 Date, Puja Vidhi, Muhurat LIVE
किस दिशा में खड़े होकर चढ़ाएं जल?
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को जल चढ़ाते समय दिशा का अवश्य ध्यान रखना चाहिए। भगवान शिव को जल चढ़ाते समय हमेशा उत्तर दिशा की ओर मुख करके चढ़ाना चाहिए, क्योंकि इस दिशा को भोलेनाथ का बाया अंग माना जाता है, जो मां पार्वती को समर्पित है।
इस दिशा से न चढ़ाएं शिवलिंग पर जल
शिव पुराण के अनुसार, शिवलिंग में कभी भी पूर्व दिशा की ओर मुख करके नहीं चढ़ाना चाहिए। क्योंकि ये दिशा भगवान शिव का मुख्य प्रवेश द्वार है। ऐसे में अगर आप दिशा में मुख करके जल चढ़ाएंगे, तो उनके रास्ते में अवरोध उत्पन्न होगा।
इस विधि से शिवलिंग में चढ़ाएं जल
- भगवान शिव को धीरे-धीरे आराम से जल चढ़ाना चाहिए। एक तांबे, चांदी, पीतल या फिर कांसे के पात्र में जल भर लें। आप चाहे तो इसमें थोड़ा सा दूध मिक्स कर सकते हैं। इसके बाद शिवलिंग के पास जाकर सबसे पहले जलहरी के दाईं ओर चढ़ाएं, क्योंकि ये स्थान गणेश जी का माना जाता है। इसके साथ ही ऊँ गणेशाय नम: मंत्र का जाप करें।
- दाएं ओर के बाद अब बाएं ओर जल चढ़ाएं। इसे शिव के बड़े पुत्र भगवान कार्तिकेय का स्थान माना जाता है। दोनों जगहों पर चढ़ाने के बाद जलहरी के बीचों-बीच चढ़ाएं। इस स्थान को शिव जी की पुत्री अशोक सुंदरी की मानी जाती है। अशोक सुंदरी को जल चढ़ाने के बाद जलधारी के गोलाकार हिस्सा में जल चढाएं। इस स्थान को मां पार्वती का हस्तकमल होता है। अंत में धीरे-धीरे “ऊं नम: शिवाय:” मंत्र का जाप करते-करते शिवलिंग में जल चढ़ाएं।
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