हर कोई दुर्घटना और अकाल मृत्यु से बचना चाहता है। ऐसे में हिंदू धार्मिक ग्रंथों में एक मंत्र का वर्णन है। जिसको लेकर मान्यता है कि मंत्र के नियमित जाप से व्यक्ति के ऊपर से बड़ा से बड़ा संकट टल जाता है। भगवान शिव को मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले देवता के रूप में जाना जाता है। क्योंकि समुद्र मंथन से निकले विष को उन्होंने स्वयं पी लिया था। इसलिए इन्हें नीलकंठ भी कहा जाता है।

बता दें कि महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव को समर्पित वह मंत्र हैं जो ऋषि मारकंडेय जी ने अकाल मृत्यु /संकट को दूर करने के लिए इसकी रचना की और सृष्टि को लाभकारी शिव मंत्र दिया। मान्यता अनुसार महामृत्युंजय मंत्र एक बहुत ही शक्तिशाली मंत्र है। साथ ही इस मंत्र के कई नाम और रूप हैं।

इस प्रकार इस मंत्र को रुद्र मंत्र भी कहा जाता है। त्र्यंबकम मंत्र भगवान शिव के तीन नेत्रों का प्रतिनिधित्व करता है। इस मंत्र को कभी-कभी मृत संजीवनी मंत्र भी कहा जाता है। क्योंकि मान्यता अनुसार इस महामृत्युंजय महामंत्र में दिवंगत आत्माओं को वापस लाने की क्षमता है। बता दें कि महामृत्युंजय का अर्थ है मृत्यु पर विजय।

महामृत्युंजय मंत्र के लाभ – Mahamrityunjay Mantra Benefits

मान्यता अनुसार इस मंत्र के जाप से व्यक्ति की अकाल मृत्यु नहीं होती है साथ ही दुर्घटनाओं से भी उसकी रक्षा स्वयं भगवान शिव करते हैं। इसलिए स्वस्थ और लंबी उम्र पाने के लिए इस महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। महामृत्युंजय का अर्थ है त्र्यंबकेश्वर। श्री त्र्यंबकेश्वर को दुःख और दानव का नाश करने वाला कहा जाता है। यजुर्वेद में लिखे महामृत्युंजय मंत्र में उनकी सभी शक्ति सिद्धियों का वर्णन किया गया है। शिव भक्त अपने सभी दुखों और दुखों को दूर करने के लिए नियमित रूप से इस महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं।

महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से मन प्रसन्न हो जाता है। इस मंत्र का जाप भगवान शिव की पूजा के लिए किया जाता है। हिन्दू धर्म में श्रावण, ताश्चन, महाशिवरात्रि आदि मास में इस मंत्र का जाप लगातार मंदिर में किया जाता है। मान्यता अनुसार हमें इस महामृत्युंजय मंत्र का नियमित जप करना चाहिए जो हमारे सभी दुखों को दूर करता है और हमारे जीवन में सुख, शांति और अच्छे स्वास्थ्य लाभ लाता है।

संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र (Complete Maha Mrityunjay Mantra)

॥ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ॥

महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ

हे तीन आंखों वाले जगत पिता शिव, हमारे पालनहार, पालनकर्ता, जिस प्रकार पका हुआ खरबूजा बिना किसी कष्ट के डाल से अलग हो जाता है, कृपया कर हमें उसी तरह इस दुनिया के मोह एवं माया के बंधनों एवं जन्म मरण के चक्र से मुक्ति दीजिए।

महामृत्युंजय मंत्र जाप करने के नियम

महामृत्युंजय मंत्र का जाप नियमित रूप से सुबह के समय घर से निकलते समय और काम पर जाते समय 9 बार और रात को सोने से पहले 9 बार करना चाहिए। धन और अच्छे स्वास्थ्य के लिए महा मृत्युंजय मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करना चाहिए। ब्रह्म मुहूर्त (प्रात: 4:00 बजे) पर महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करना श्रेष्ठ और लाभकारी माना गया है।