महालक्ष्मी व्रत 2019, 21 सितंबर को पूर्ण होगा। ऐसा माना जाता है कि इन व्रतों को करने से धन धान्य की कभी कमी नहीं होती और दरिद्रता से मुक्ति मिल जाती है। धन और वैभव की देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए लोग इस व्रत को करते हैं। हर साल भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को इस व्रत का आरंभ होता है जो 16 दिनों तक चलते हैं। इस व्रत में सुबह और शाम के समय मां लक्ष्मी की विधि विधान पूजा की जाती है और उनकी इस आरती को उतारकर पूजा संपन्न होती है। आरती इस प्रकार है…

Laxmi Ji Ki Aarti: यहां पढ़े लक्ष्मी जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी

महालक्ष्मी जी आरती (Mahalaxmi Ji ki Aarti)

ओउम् जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हर विष्णु विधाता।।

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता ।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ॐ जय…

तुम पाताल-निरंजनि, सुख-सम्पत्ति-दाता ।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि-धन पाता ॥ॐ जय…

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनि, भवनिधि की त्राता ॥ॐ जय…

जिस घर तुम रहती, तहँ सब सद्गुण आता ।
सब सम्भव हो जाता, मन नहिं घबराता ॥ॐ जय…

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता ।
खान-पान का वैभव सब तुमसे आता ॥ॐ जय…

शुभ-गुण-मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता ॥ॐ जय…

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कई नर गाता ।
उर आनन्द समाता, पाप शमन हो जाता ॥ॐ जय…

महालक्ष्मी व्रत का महत्व – महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से प्रारंभ होकर अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तक रखा जाता है। सोलह दिनों तक रखे जाने वाले इस व्रत में सुबह शाम माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य भी दिया जाता है। वैसे तो यह व्रत 16 दिनों तक किया जाता है। लेकिन अगर सोलह दिनों तक व्रत रख पाना संभव न हो तो आप अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार कम दिनों तक भी रख सकते हैं। इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है। और सोलह दिनों तक व्रत रखने के बाद इसका विधि विधान उद्यापन कर दिया जाता है।