Mahakumbh Amrit Snan: महाकुंभ का आयोजन हर 12 वर्षों पर होता है और इस बार उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ लगा है। यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और आस्था का ऐसा पर्व है, जो दुनियाभर के लोगों को अपनी ओर खींचता है। आपको बता दें कि महाकुंभ का इतिहास हजारों साल पुराना है। इस खास मौके पर देश-विदेश से लाखों-करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु संगम डुबकी लगाने के लिए आते हैं। इस मेले की खासियत है कि यहां आकर लोग अपने पाप धोने और मोक्ष पाने की उम्मीद में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में डुबकी लगाते हैं। नागा साधुओं की पेशवाई यानी उनका भव्य जुलूस इस मेले का सबसे बड़ा आकर्षण है। ये साधु सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि सनातन धर्म के रक्षक और भारतीय वीरता के प्रतीक भी माने जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस कुंभ में सबसे पहले स्नान करने का अधिकार नागा साधुओं और साधु-संतो को ही क्यों दिया गया है? जानिए यहां…

साधु-संत के लिए अमृत स्नान का महत्व

महाकुंभ के दौरान सबसे खास होता है अमृत स्नान, जिसे शाही स्नान भी कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमृत स्नान से इंसान के सारे पाप खत्म हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि यह स्नान एक हजार अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य देता है। अमृत स्नान के दिन सबसे पहले नागा साधु स्नान करते हैं। इन साधुओं को ‘महायोद्धा साधु’ भी कहा जाता है क्योंकि प्राचीन समय में ये धर्म और समाज की रक्षा के लिए योद्धा का काम करते थे। अमृत स्नान के दौरान ये साधु भव्य जुलूस के साथ संगम पहुंचते हैं और गंगा में डुबकी लगाते हैं। यह नजारा देखने लायक होता है।

महाकुंभ 2025 में अमृत स्नान की तारीखें

महाकुंभ का पहला अमृत स्नान 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के दिन किया गया। अब दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी 2025, मौनी अमावस्या के दिन किया जाएगा। वहीं तीसरा और आखिरी अमृत स्नान 3 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन किया जाएगा।

महाकुंभ का महत्व

महाकुंभ मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह भारतीय समाज की एकता और आस्था का प्रतीक है। यहां आकर लोग न सिर्फ अपने पाप धोने की उम्मीद करते हैं, बल्कि यह अनुभव उन्हें जीवनभर याद रहता है। नागा साधुओं की पेशवाई, अमृत स्नान और लाखों लोगों की आस्था का यह मेला भारतीय संस्कृति का जीता-जागता उदाहरण है। महाकुंभ मेला हर बार यह साबित करता है कि भारतीय परंपराएं और आस्था कितनी मजबूत हैं। यह सिर्फ एक मेला नहीं, बल्कि पूरे देश को एक सूत्र में बांधने वाला पर्व भी है।

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के दौरान अघोरी और नागा साधु लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दोनों किस देवता की पूजा करते हैं? जानिए यहां…

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