Mahakumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ का पहला अमृत स्नान मकर संक्रांति के दिन, 14 जनवरी 2025 को हुआ। अब महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या पर किया जाएगा। इसमें नागा साधुओं को पहला स्नान करने का विशेष अवसर मिलेगा। इसके बाद उनके अखाड़े और अघोरी साधु भी संगम में डुबकी लगाएंगे। महाकुंभ में अघोरी बाबा और नागा साधु लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। ये दोनों साधु हमेशा से ही लोगों के बीच रहस्य रहे हैं। आमतौर पर लोग इन्हें एक ही समझ लेते हैं, लेकिन इन साधुओं में बहुत अंतर होता है। दोनों साधुओं की पूजा विधि में भी बहुत अंतर है, जिसे बहुत कम लोग जानते होंगे। ऐसे में आइए जानते हैं अघोरी बाबा और नागा साधुओं की पूजा में क्या अंतर होता है।

नागा साधु और अघोरी साधु में अंतर

नागा साधुओं की उत्पत्ति का श्रेय आदि शंकराचार्य का जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब आदि शंकराचार्य ने चार मठों की स्थापना की, तो उनकी रक्षा के लिए एक टोली बनाई गई, जिसे नागा साधु कहा जाता है। ये साधु सिर्फ शिव की पूजा करते हैं और उनका जीवन तपस्या में बसा होता है। वे अग्नि और भस्म के साथ पूजा करते हैं और महाकुंभ के बाद हिमालय या गुफाओं में ध्यान और योग करते हैं। वहीं, अघोरी साधु की उत्पत्ति गुरु दत्तात्रेय से मानी जाती है। अघोरी भी शिव के उपासक होते हैं, लेकिन वे मां काली की भी पूजा करते हैं। अघोरी साधु जीवन और मृत्यु से डरते नहीं हैं और वे कपालिका परंपरा का पालन करते हैं। उनका जीवन तंत्र-मंत्र और कठोर साधना से जुड़ा होता है।

नागा साधुओं की पूजा विधि

नागा साधु शिवजी के बहुत बड़े भक्त होते हैं। उनकी पूजा विधि में शिवलिंग पर भस्म, जल और बेलपत्र चढ़ाना होता है। वे अग्नि का उपयोग भी करते हैं और भस्म के साथ शिव की पूजा करते हैं। वे महाकुंभ के बाद हिमालय या गुफाओं में तपस्या करने जाते हैं, जहां वे ध्यान और योग के जरिए शिव में लीन हो जाते हैं।

अघोरी साधुओं की पूजा विधि

अघोरी साधु भी शिव के भक्त होते हैं, लेकिन उनकी पूजा विधि नागा साधुओं से अलग होती है। अघोरी तीन प्रकार की साधना करते हैं – शव साधना, शिव साधना और श्मशान साधना। शव साधना में वे मांस और मदिरा का भोग अर्पित करते हैं, शिव साधना में वे शव पर एक टांग पर खड़े होकर तपस्या करते हैं, और श्मशान साधना में वे श्मशान में हवन करते हैं और तंत्र-मंत्र का भी जाप करते हैं।

महाकुंभ मेले के दौरान होने वाले शाही स्नान का नाम अचानक बदलकर अमृत स्नान कर दिया गया। आपको बता दें कि सालों से इसे शाही स्नान के नाम से ही जाना जाता था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों किया गया? जानिए यहां…

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