Mahabharat Draupadi Birth Story In Hindi: महाभारत के मुख्य किरदारों में से एक थीं पांड़वों की पत्नी द्रौपदी। जो अग्नि से जन्मी थीं। इन्हीं के अपमान का बदला लेने के लिए महाभारत युद्ध हुआ। जिसमें पांडवों को विजय प्राप्त हुई। द्रौपदी को अपने जीवन में कई बार अपमान और कष्टों का सामना करना पड़ा। कहा जाता है कि उनके दुख से भरे इस जीवन की कामना खुद उनके पिता द्रुपद ने की थी। महाभारत सीरियल में द्रौपदी के जन्म की पूरी कहानी दिखाई गयी है। जिसके अनुसार पांचाल के राजा द्रुपद अपने लिए पुत्र चाहते थे। जिससे वे ऋषि द्रोण से अपने अपमान का बदला ले सकें। द्रुपद को अपने पुत्र की प्राप्ति यज्ञ से होनी थी लेकिन उसी यज्ञ से प्रसाद स्वरूप उन्हें पुत्री भी प्राप्त हुई।

द्रोण के साथ द्रुपद की दुश्मनी थी और अर्जुन ने उनके आधे राज्य को जीतकर ऋषि द्रौण को दे दिया था। जिस कारण उनके अंदर बदले की आग सुलग रही थी। द्रोण ने पुत्र प्राप्ति की इच्छा से एक बड़े यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ से उन्हें पुत्र धृष्टधुम्न की प्राप्ति हुई। लेकिन इसी यज्ञ से द्रुपद को एक पुत्री की भी प्राप्ति होनी थी पर द्रुपद अपने लिए पुत्री नहीं चाहता था। इसलिए उसने यज्ञ में आहुति देने से मना कर दिया। लेकिन देवताओं की हट के कारण वह यज्ञ अधूरा छोड़कर नहीं जा पाया।

क्रोधित होकर द्रुपद अपनी पुत्री के लिए देवताओं से जीवन भर के दुख मांग लेता है। द्रपुद यज्ञ की अग्नि में एक एक करके सभी चीजों की आहुति देता है साथ-साथ वे अपनी पुत्री के लिए कष्ट मांगता चला जाता है। अबीर की आहुति देते हुए द्रुपद कहता है कि अबीर की भांति पवित्र चरित्र हो उसका लेकिन फिर भी उसे विश्व की सारी अपवित्रता प्राप्त हो। फिर धान की आहुति देते हुए द्रुपद कहता है कि धान की भांति सबको बल दे सके ऐसी शक्ति हो उसके ह्रदय में, लेकिन ऐसे प्रसंग उसे मिलते रहे जीवन भर जो किसी को भी निर्बल बना दें। गुलाल कभी अपना रंग नहीं बदलता ऐसा शौर्य हो उसका। कुमकुम की भांति मेरी पुत्री विश्व में सबसे सुंदर हो और जो दूसरों को भी सुंदर दिखा सके। पुष्प जब कुचल जाता है तो खुशबू देता है, मांगता हूं मैं उस कन्या के साथ बार बार अन्याय हो और फिर भी वो न्याय की सुगंध फैलाती रहे। फिर इसी यज्ञ से जन्मी यज्ञसैनी द्रोपदी। हालांकि बाद में ये द्रपुद की चहीती संतान भी बनीं। लेकिन इन्हें जीवन में कई कष्टों का सामना करना पड़ा।