Shiv Ji Ke 108 Naam: 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ की शुरुआत हुई है और इस मेले का समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन होगा। इस दौरान दुनिया भर से श्रद्धालु पवित्र त्रिवेणी संगम पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं। महाकुंभ में अमृत स्नान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन स्नान-दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। वहीं महाकुंभ का पहला अमृत स्नान 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के दिन किया गया। अब महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी, मौनी अमावस्या के दिन होगा। ऐसे में इस दिन का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है। ज्योतिष की मानें तो इस दिन स्नान-दान, पूजा-पाठ के साथ भगवान शिव के 108 नामों का जाप कर सकते हैं। मान्यता है कि इससे जातक पर महादेव की कृपा बनी रहती है। साथ ही सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है।

भगवान शिव के 108 नाम (Shiv ji ke 108 Naam)

ॐ रुद्रनाथ नमः

ॐ महाकाल नमः

ॐ नटराज नमः

ॐ भीमशंकर नमः

ॐ चंद्रमोली नमः

ॐ प्रलेयन्कार नमः

ॐ ज्योतिलिंग नमः

ॐ डमरूधारी नमः

ॐ भोलेनाथ नमः

ॐ चंद्रधारी नमः

ॐ भूतनाथ नमः

ॐ कैलाश पति नमः

ॐ नन्दी की सवारी नमः

ॐ मलिकार्जुन नमः

ॐ भीमेश्वर नमः

ॐ नंदराज नमः

ॐ बम भोले नमः

ॐ विषधारी नमः

ॐ विश्वनाथ नमः

ॐ अनादिदेव नमः

ॐ गोरापति नमः

ॐ उमापति नमः

ॐ ओंकार स्वामी नमः

ॐ गणपिता नमः

ॐ शंकर त्रिशूलधारी नमः

ॐ ओंकारेश्वर नमः

ॐ शिवजी नमः

ॐ भोले बाबा नमः

ॐ शम्भु नमः

ॐ नीलकंठ नमः

ॐ त्रिपुरारी नमः

ॐ महाकालेश्वर नमः

ॐ त्रिनेत्रधारी नमः

ॐ त्रिलोकनाथ नमः

ॐ लंकेश्वर नमः

ॐ बर्फानी बाबा नमः

ॐ केदारनाथ नमः

ॐ अमरनाथ नमः

ॐ अर्धनारीश्वर नमः

ॐ मंगलेश्वर नमः

ॐ नागार्जुन नमः

ॐ जटाधारी नमः

ॐ जगतपिता नमः

ॐ नीलेश्वर नमः

ॐ नागधारी नमः

ॐ मृत्युन्जन नमः

ॐ गलसर्पमाला नमः

ॐ रामेश्वर नमः

ॐ सोमनाथ नमः

ॐ दीनानाथ नमः

ॐ भंडारी बाबा नमः

ॐ जोगी नमः

ॐ गोरीशंकर नमः

ॐ बमलेहरी नमः

ॐ महेश्वराए नमः

ॐ शिवाकांत नमः

ॐ महेश नमः

ॐ संकटहारी नमः

ॐ रुंडमालाधारी नमः

ॐ महेश्वर नमः

ॐ पशुपति नमः

ॐ जगपालनकर्ता नमः

ॐ प्राणनाथ नमः

ॐ संगमेश्वर नमः

ॐ दक्षेश्वर नमः

ॐ मणिमहेश नमः

ॐ घ्रेनश्वर नमः

ॐ अमर नमः

ॐ अनादी नमः

ॐ विलवकेश्वर नमः

ॐ आशुतोष महाराज नमः

ॐ ओलोकानाथ नमः

ॐ अचलेश्वर नमः

ॐ देवदेवेश्वर नमः

ॐ आदिनाथ नमः

ॐ महादानी नमः

ॐ शिवम् नमः

ॐ अभयंकर नमः

ॐ शिवदानी नमः

ॐ सर्पधारी नमः

ॐ धूधेश्वर नमः

ॐ पातालेश्वर नमः

ॐ हठ योगी नमः

ॐ त्रिलोकिनरेश नमः

ॐ नागाधिराज नमः

ॐ विश्लेश्वर नमः

ॐ बाबा चंद्रेश्वर नमः

ॐ उमाकांत नमः

ॐ सर्वेश्वर नमः

ॐ मुक्तेश्वर नमः

ॐ त्रिलोकी स्वामी नमः

ॐ त्रिकालदर्शी नमः

ॐ गढ़शंकर नमः

ॐ महादेव नमः

ॐ भद्रेश्वर नमः

ॐ त्रिपुनाशक नमः

ॐ गिरजापति नमः

ॐ निर्जेश्वर नमः

ॐ नटेषर नमः

ॐ किरातेश्वर नमः

ॐ भीलपति नमः

ॐ वृषेश्वर नमः

ॐ अबधूतपति नमः

ॐ जितनाथ नमः

ॐ भूतेश्वर नमः

ॐ नागेश्वर नमः

ॐ जागेश्वर नमः

ॐ बैजूनाथ नमः

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