इस बार साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 16 जुलाई को लग रहा है। भारत में धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चंद्र को ग्रहण लगना अच्छा नहीं माना गया है। इसी कारण इस दौरान बहुत से कार्य नहीं किये जाते हैं। हमारे देश में ग्रहण के दौरान खाना ना खाने, गर्भवती महिलाओं में ही रहने की सलाह दी जाती है। मान्यता है कि चंद्रग्रहण के समय गर्भ में पल रहे बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को इस दौरान किसी भी तरह की धार वाली चीजें भी इस्तेमाल नहीं करनी चाहिए। लेकिन भारत ही नहीं बहुत से देशों में चंद्र ग्रहण से जुड़ी कुछ अलग-अलग कहानियां सुनने को मिलती है जो शायद ही आपने पहले कभी सुनी होगी। तो यहां आप जानेंगे ग्रहण से जुड़ी दुनियाभर की कुछ बेहद ही मज़ेदार और अजब-गजब कहानियां…

इन्का साम्राज्य (अमेरिका में) के लोगों के चंद्र ग्रहण के लिए बहुत ही विचित्र विचार हैं। वे लोग बाकियों की तरह ग्रहण को अच्छा नहीं समझते थे। उनके अनुसार एक तेंदुआ है जो चाँद पर हमला करता है और उसे खाने की कोशिश करता है, इसी कारण से पूरे चंद्र ग्रहण के दौरान चाँद का रंग लाल हो जाता है।
वे लोग मानते थे कि चाँद के बाद वही तेंदुआ धरती पर आता है और इसे भी खाने की कोशिश करता है। इसी वजह से वहाँ के लोग तेंदुए से बचने के लिए अपने भालों को हवा में ऊपर की ओर इशारा करके उसे ज़ोर-ज़ोर से हिलाते थे और बहुत तेज आवाजें भी निकालते थे। उसके बाद वो लोग अपने कुत्तों को भी पीटते थे ताकि वो तेंदुआ डर जाए और वापिस ना आए।

हूपा के लोगों (अमेरिका में) के विचार इन्का के लोगों के विचार से बिल्कुल अलग थे। ये लोग मानते थे कि चाँद की 20 पत्नियां हैं और बहुत सारे पालतु जानवर भी हैं। जिनमें से ज़्यादातर पहाड़ी शेर और सांप थे। और जब चाँद अपने जानवरों को पर्याप्त खाना नहीं खिलाता था तो उसके जानवर उसपर हमला कर देते थे। जिसके कारण उसका खून निकल जाता था और जिस कारण चाँद का रंग लाल हो जाता था। इसे ही चंद्र ग्रहण माना गया है। चंद्र ग्रहण तब समाप्त होता था जब उसकी पत्नी उसे आकर बचाती थी और उसके खून को इकट्ठा करके उसे पहले की तरह ठीक कर देती थी। और वो लोग चाँद की सेहत के लिए प्रार्थना भी करते थे।

बाटामालिबा के लोग (अफ्रीका में) मानते हैं कि चंद्र ग्रहण का मुख्य कारण है सूरज और चाँद के बीच की लड़ाई। उनका मानना है कि लोगों को इस झगड़े को खत्म कराने की कोशिश करनी चाहिए। इसी कारण वहां के लोग इस दौरान पुराने झगड़ों को भुलाने की कोशिश करते हैं। यह परंपरा वहांआज भी जारी है।