19 नवंबर को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। इससे पहले 26 मई को पहला चंद्र ग्रहण लगा था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चंद्र ग्रहण हो या फिर सूर्य ग्रहण दोनों बेहद ही अशुभ माने जाते हैं। क्योंकि इस दौरान धरती पर नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे इस पृथ्वी पर मौजूद सभी जीव-जंतुओं पर बुरा प्रभाव पड़ता है। वहीं वैज्ञानिकों के अनुसार जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है तो चंद्रमा पर प्रकाश नहीं पड़ पाता, इसी खगोलिय क्रिया को चंद्र ग्रहण कहा जाता है।

19 नवंबर को विक्रम संवत 2078 में कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन यानी शुक्रवार को वृषभ राशि और कृतिक नक्षत्र में चंद्र ग्रहण लगेगा।

भारत में चंद्र ग्रहण का समय: भारतीय समयानुसार 19 नबंवर के दिन सुबह 11.34 बजे से ग्रहण शुरू होगा, जो शाम 05.33 बजे समाप्त होगा। ये आंशिक चंद्र ग्रहण होगा, जो भारत समेत भारत, उत्तरी यूरोप, अमेरिका, पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागर के इलाकों और एशिया के अधिकांश हिस्सों में दिखाई देगा। हालांकि भारत में ये ग्रहण उपच्छाया रूप में दिखाई देगा इसलिए इसका सूतक काल प्रभावी नहीं होगा।

चंद्र ग्रहण को लेकर धार्मिक मान्यता: पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान राहु अपना रूप बदलकर देवताओं के बीच में अमृतपान करने के लिए बैठ गया था। जब मोहिनी रूप धारण कर भगवान विष्णु देवताओं को अमृतपान करा रहे थे, उसी वक्त राहु ने भी देवताओं के रूप में छल से अमृत पी लिया। इस दौरान चंद्र देव और सूर्य देव ने राहु को देख लिया और इस बात की सूचना तुरंत भगवान विष्णु को दी।

राहु के कृत्य को जानकर भगवान विष्णु क्रोध में भर गए और उन्होंने अपने चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया। हालांकि अमृत पीने के कारण राहु की मृत्यु नहीं हुई। सिर से धड़ अलग होने के बाद उसका मस्तक वाला भाग राहु और धड़ वाला भाग केतु कहलाने लगा। इस घटना के बाद राहु-केतु ने सूर्य और चंद्रमा को अपना शत्रु मान लिया। इस कारण वह पूर्णिमा को चंद्रमा और अमावस्या को सूर्य को खाने का प्रयास करते हैं। जब वह सफल नहीं होते हैं तो इस स्थिति को ग्रहण कहा जाता है।