वैशाख हिन्दू धर्म का द्वितीय महीना है। विशाखा नक्षत्रयुक्त पूर्णिमा होने के कारण इसका नाम वैशाख पड़ा। उत्तर भारत हिन्दू पंचांग के अनुसार से वैशाख मास प्रारंभ हो चुका है। गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार अभी चैत्र मास चल रहा है; वहां पर 01 मई, रविवार से वैशाख मास प्रारंभ होगा। वैशाख मास पुण्यकारी, श्रीविष्णु को अत्यंत प्रिय मास है।
ज्योतिषाचार्य दुष्यंत कुमार गोयल (एम0ए0 ज्योतिष ) ने बताया कि वैशाख मास का एक नाम माधव मास भी है। इस मास के देवता “मधुसूदन” हैं। मधु दैत्य का वध होने के कारण उन्हें मधुसूदन कहते हैं। विष्णुसहस्त्रनाम “दुःस्वप्ने स्मर गोविन्दं संकटे मधुसूदनम्” के अनुसार किसी भी प्रकार के संकट में श्रीविष्णु के नाम मधुसूदन का स्मरण करना चाहिए।
जो वैशाख मास में सूर्योदय से पूर्व स्नान करता है, उससे भगवान विष्णु निरन्तर प्रीति करते हैं। क्योंकि वैशाख मास भगवान विष्णु को अत्यन्त प्रिय है। सभी दानों से जो पुण्य होता है और सब तीर्थों में जो फल होता है, उसी को मनुष्य वैशाख मास में केवल जलदान करके प्राप्त कर लेता है।
स्कन्दपुराणम्, वैष्णवखण्ड के अनुसार लिखा है, “न माधवसमो मासो न कृतेन युगं समम्। न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थं गंगया समम्।।” अर्थात वैशाख के समान कोई मास नहीं है, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं है, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है।
स्कन्दपुराण में यह बताया है कि वैशाख में तेल लगाना, दिन में सोना, कांस्यपात्र में भोजन करना, खाट पर सोना, घर में नहाना, निषिद्ध पदार्थ खाना दोबारा भोजन करना तथा रात में खाना-इन आठ बातों का त्याग करना चाहिए। जबकि शिवपुराण के अनुसार वैशाख में भूमि का दान करना चाहिए। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार वैशाख मास में ब्राह्मण को सत्तू दान करने वाला पुरुष सत्तू कण के बराबर वर्षों तक विष्णु मन्दिर में प्रतिष्ठित होता है।
जो मनुष्य वैशाख मास में सड़क पर यात्रियों के लिए प्याऊ लगाता है, वह विष्णुलोक में प्रतिष्ठित होता है। प्याऊ देवताओं, पितरों तथा ऋषियों को अत्यन्त प्रीति देने वाला है। जिसने वैशाख मास में प्याऊ लगाकर थके-मांदे मनुष्यों को संतुष्ट किया है, उसने ब्रह्मा, विष्णु और शिव आदि देवताओं को संतुष्ट कर लिया। वैशाख मास में जल की इच्छा रखने वाले को जल, छाया चाहने वाले को छाता और पंखे की इच्छा रखने वाले को पंखा देना चाहिए। विष्णुप्रिय वैशाख में जो पादुका दान करता है, वह यमदूतों का तिरस्कार करके विष्णुलोक यानि बैकुंठ धाम को प्राप्त कर लेता है ।