सुदर्शन चक्र को लेकर कई सारे प्रसंग बड़े ही विख्यात हैं। इन प्रसगों को आए दिन विभिन्न माध्यमों के जरिए साझा किया जाता रहता है। हम भी आपको सुदर्शन चक्र से जुड़ा एक बड़ा ही दिलचस्प प्रंसग बताने जा रहे हैं। यह प्रसंग भगवान विष्णु को हुई सुदर्शन चक्र की प्राप्ति से जुड़ा हुआ है। मालूम हो कि सुदर्शन चक्र को ब्रम्हाण्ड का सबसे शक्तिशाली चक्र बताया गया है। कहते हैं कि विष्णु को यह शिव जी से प्राप्त हुआ था। लेकिन इसके लिए विष्णु जी को कड़ी तपस्या करनी पड़ी थी। आज हम इस बारे में विस्तार से बात करेंगे।
इस प्रसंग के मुताबिक, भगवान विष्णु ने काशी जाकर शिव जी की आराधना करने का निर्णय लिया। विष्णु ने सबसे पहले काशी के मणिकार्णिका घाट पर स्नान किया। इसके उपरांत उन्होंने एक हजार स्वर्ण कमल फूलों से शिव की पूजा करने की योजना बनाई। लेकिन शिव जी विष्णु की परीक्षा लेना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने कमल का फूल अपने पास रख लिया। विष्णु जी ने जब एक फूल की कमी देखी तो काफी परेशान हो गए। ऐसे में उन्होंने अपनी कमल जैसी आंख को चढ़ाने की निश्चय कर लिया।
कहा जाता है कि विष्णु जी भगवान शिव को अपनी एक आंख चढ़ाने के लिए एकदम तैयार थे। लेकिन ठीक उसी वक्त शिव जी उनके सामने प्रकट हो गए। शिव जी ने यह मान लिया कि इस ब्रम्हाण्ड में विष्णु जैसा उनका कोई भक्त नहीं है। इसके बाद विष्णु की भक्ति से प्रसन्न शिव जी ने उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान किया। शिव जी ने कहा कि यह अकेला चक्र ही ब्रम्हाण्ड के सारे राक्षसों का विनाश कर सकता है और इसकी बराबरी में कोई दूसरी अस्त्र नहीं है। मालूम हो कि शिव जी ने जिस दिन विष्णु को सुदर्शन चक्र सौंपा था, उस दिन बैकुंठ चतुर्दशी मनाई जाती है।


