भगवान शिव के बारे में कहा जाता है कि वह बड़े ही भोले हैं। कहते हैं कि शिव से अपने भक्तों का कष्ट देखा नहीं जाता और वह उन्हें अति शीघ्र दूर कर देते हैं। शिव जी को ध्यान से देखा जाए तो वह कुल 9 रत्न धारण किए हुए दिखाई देते हैं। ये हैं- पैरों में कड़ा, मृगछाला, रुद्राक्ष, नागदेवता, खप्पर, डमरू, त्रिशूल, शीश पर गंगा और चंद्रमा। कहते हैं कि शिव जी के द्वारा धारण किए जाने वाले इन सभी 9 रत्नों की अलग-अलग महत्ता है। इसके साथ ही इनकी पूजा से अलग-अलग लाभ मिलने की बात कही गई है। यह सावन का पवित्र महीना चल रहा है और सावन में शिव जी पूजे जाते हैं। ऐसे में शिव के इन 9 रत्नों के बारे में जानना बड़ा ही दिलचस्प होगा।

आपने शिव जी की ऐसी प्रतिमाएं देखी होंगी जिनमें वह अपने सिर पर चंद्रमा धारण किए हुए दिखाई देते हैं। कहते हैं कि चंद्रमाधारी शिव की पूजा करने से कुंडली में अनुकूल ग्रहों की दशा मजबूत होती है। माना जाता है कि चंद्रमाधारी शिव को दूध से अभिषेक करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि गंगाधारी शिव की प्रतिमा की पूजा करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है। इससे विद्या, बुद्धि और कला में वृद्धि होने की बात भी कही गई है।

कहते हैं कि भस्मधारी महाकाल यानी शिव जी की पूजा करने से सुखों का प्राप्ति होती है। इससे शत्रुओं पर विजय प्राप्त होने की भी मान्यता है। यह माना जाता है कि त्रिशूल धारण किए शिव की आराधना से विवाह में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं। डमरू धारण किए हुए शिव की पूजा से रोगों से छुटकारा मिलने की मान्यता है। वहीं, सर्पधारी शिव की पूजा से राजनौतिक सफलता मिलने की मान्यता है। कहते हैं रुद्राक्ष धारण किए भोले की पूजा से वे प्रसन्न होते हैं। इसके साथ ही कमंडलधारी शिव की पूजा से मान-सम्मान बढ़ने की मान्यता है।