गोकुल महावन यमुना तट स्थित कृष्णकालीन चिंताहरण शिवालय एक प्रसिद्ध तीर्थाटन है। मथुरा जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर इस शिवालय में भगवान शिव चिंताहरण महादेव के रूप में विराजमान हैं। चिंताहरण महादेव मंदिर की स्थापना के पीछे मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने जब सात वर्ष की आयु में एक बार मिट्टी खाई थी तो मां यशोदा घबरा गईं और कृष्ण से मिट्टी को मुंह से निकालने को कहा। जब भगवान श्रीकृष्ण ने अपना मुंह खोला तो मां यशोदा को पूरे ब्रह्मांड के दर्शन हो गए। मां यशोदा घबरा गईं और भगवान शिव को पुकारने लगीं। उनकी पुकार सुनकर भगवान शिव यहां प्रकट हुए। इसके बाद यशोदा ने यमुना के जल से भगवान शिव का जलाभिषेक किया।
मां यशोदा ने भगवान शिव से यहां विराजमान हो सभी भक्तों की चिंताएं हरने का वचन मांगा। इसका उल्लेख श्रीमद्भागवत पुराण के दसवें स्कंध में है। भगवान शिव ने मां यशोदा से कहा कि यहां आकर जो भी भक्त यमुना का जल चढ़ाएगा, उसकी सभी चिंताए दूर हो जाएंगी और मनोकामनाएं पूरी होंगी। तब से यह मान्यता है कि एक बार जो भी व्यक्ति श्रद्धा के साथ चिंताहरण महादेव के दर्शन कर लेता है, उसकी सभी चिंताए दूर हो जाती हैं। एक अन्य मान्यता के अनुसार, जब सभी देवता भगवान कृष्ण बाल स्वरूप के दर्शन करने ब्रज में आए तब भगवान शिव भी आए।
लेकिन, मां यशोदा ने भगवान शिव के गले में सांप को देखकर उन्हें कृष्ण के दर्शन नहीं करने दिए। भगवान शिव निराश हुए तो उन्होंने भगवान का ध्यान किया और भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें इसी स्थान पर दर्शन देकर उनकी मनोकामना पूर्ण की। तब से भगवान भोलेनाथ यहीं विराजमान हो गए। इसका उल्लेख गर्ग संहिता और शिव महापुराण में भी मिलता है। यहां स्थापित शिवलिंग अद्भुत है। पत्थर के इस शिवलिंग पर 1108 अन्य शिवलिंग उभरे हुए हैं। पूरी दुनिया में किसी और मंदिर में इस तरह का शिवलिंग नहीं है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं।