भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े हुए कई प्रसंग बड़े ही प्रसिद्ध हैं। लेकिन एक ऐसा दिलचस्प प्रसंग भी है जिसके बारे में बहुत ज्यादा कहा-सुना नहीं गया है। यह प्रसंग श्रीकृष्ण और उनके ससुर के बीच हुए युद्ध से जुड़ा हुआ है। इस प्रसंग का उल्लेख श्रीमद्भागवत पुराण में किया गया है। इसके अनुसार, एक बार श्रीकृष्ण पर चोरी करने का आरोप लगा था। उन पर आरोप था कि उन्होंने स्यमंतकामिनी नामक मणि चुराई है। हालांकि यह आरोप पूरी तरह से गलत था। इसलिए श्रीकृष्ण ने खुद ही इस मणि की तलाश शुरू कर दी। इस दौरान उन्हें पता चला कि मणि जामवंत नाम के उनके पूर्व जन्म के भक्त के पास है।

श्रीकृष्ण जब यह मणि लेने पहुंचे तो जामवंत उन्हें नहीं पहचान पाए। इसके बाद जामवंत और श्रीकृष्ण में युद्ध शुरू हो गया। यह युद्ध 28 दिनों तक चला। युद्ध के 28वें दिन जामवंत को यह पता चला कि श्रीकृष्ण प्रभु श्रीराम के ही अवतार थे। इसके बाद जामवंत और श्रीकृष्ण के बीच का युद्ध रुक गया और जामवंत ने अपनी हार स्वीकार ली। इसके बाद उन्होंने अपनी पुत्री जांबवंती का श्रीकृष्ण से विवाह रचा दिया।

कहते हैं कि मणि जामवंत ने अपनी पुत्री को ही सौंप रखा था। ऐसे में इस बात का वर्णन आता है कि वह मणि जिसकी चोरी का कृष्ण पर आरोप लगा था, उसे श्रीकृष्ण और जांबवंती की शादी में दहेज के रुप में दिया गया। इस तरह से जामवंत को अपने प्रभु के दर्शन हो गए और श्रीकृष्ण के ऊपर लगा चोरी का दाग भी धूल गया। इस प्रसंग में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि श्रीकृष्ण और जामवंत के बीच मल्लयुध्द हुआ था। और इस युद्ध में श्रीकृष्ण ने जामवंत को हरा दिया था। इसके बाद जामवंत को पता चला था कि श्रीकृष्ण ही राम के अवतार हैं।