जाने-माने कथावाचक मोरारी बापू की राय में हनुमान जी वैज्ञानिक हैं। मोरारी बापू का कहना है कि हनुमान जी का रूप भले ही बंदर का हो लेकिन वे बड़े ही सुंदर वैज्ञानिक हैं। बापू की कहना है कि 21वीं सदी में हनुमान जी को वैज्ञानिक के रूप में याद करना चाहिए। बापू इस बात पर सवाल उठाते हैं कि लोग हनुमान जी को तेल, उड़द दाल इत्यादि चीजें चढ़ाकर प्रतिमा को गंदा क्यों करते हैं? पुरानी परंपराओं को भूलकर अब हमें हनुमान को नए तरीके से याद करना चाहिए। बापू ने इसी साल हनुमान जयंती पर एक धार्मिक आयोजन में कहा था कि युवाओं को हनुमान जी को केवल धार्मिक रूप में ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखना चाहिए। बापू ने हनुमान को वैज्ञानिक बताने के पीछे पांच वजहें गिनाई।
1. हनुमान जी अपनी हर एक सांस में प्रभु श्रीराम का नाम लेते हैं। यह कोई आसान बात नहीं है। इसके लिए योग की गहरी जानकारी होनी चाहिए। इस प्रकार से हनुमान जी को योग विज्ञान की बहुत अच्छी जानकारी थी।
2. हनुमान जी के पास गजब का विश्वास था। हनुमान का यह विश्वास प्रभु श्रीराम में था। राम जी में विश्वास रखते हुए हनुमान ने कई सारे बड़े-बड़े कार्य कर डाले। चाहे विशाल समुद्र को पार करना हो, सीता जी का पता लगाना हो या फिर हिमालय पर्वत से संजीवनी लाकर लक्ष्मण जी की जान बचानी हो। यह सब हनुमान जी के विश्वास विज्ञान की वजह से ही हो सका।
3. मोरारी बापू के मुताबिक, हनुमान जी को व्यास(विस्तार) विज्ञान का ज्ञान था। हनुमान जी जरूरत पड़ने पर अपने रूप को बड़ा कर लेते थे। लंका दहन के समय देखा गया कि हनुमान जी की पूंछ काफी विशाल हो गई थी। इसके अलावा उन्होंने लंका में माता सीता को अपने स्वर्ण रूप की दर्शन कराया था।
4. मोरारी बापू ने कहा कि हनुमान जी को समास(सूक्ष्म) विज्ञान का ज्ञान था। रामायण में देखा गया कि लंका जाते समय समुद्र पार करने के लिए हनुमान जी ने अति सूक्ष्म रूप धारण कर लिया था। यह सूक्ष्म विज्ञान की जानकारी के बिना नहीं होता।
5. भजन एक विज्ञान है। ऐसा मोरारी बापू का कहना है। और बापू के मुताबिक हनुमान जी को भजन विज्ञान की जानकारी थी। हनुमान जी निरंतर अपने प्रभु श्रीराम का भजन करते रहते थे। यह कोई साधारण बात नहीं है।
