वर्तमान में सबसे अधिक धनवान भगवान बालाजी को माना जाता है। कुछ आंकड़ों के अनुसार माना जात है कि मंदिर ट्रस्ट के खजाने में 50 हजार करोड़ से अधिक की संपत्ति है। इतना धन होने के बाद भी बालाजी को सबसे गरीब देवता माना जाता है। एक मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि कलयुग के अंत तक कर्ज में रहेंगे। बालाजी के कर्ज को चुकाने के लिए ही भक्त इस मंदिर में सोना और बहुमूल्य दान करते हैं।
प्राचीन कथा के अनुसार माना जाता है कि एक बार महर्षि भृगु बैकुंठ पधारे और आते ही उन्होनें शेष नाग शैय्या पर योगनिद्रा में लेटे भगवान विष्णु को लात मारी। भगवान विष्णु ने तुरंत भृगु के पैर पकड़ लिए और कहा कि आपके पैर में चोट तो नहीं आई। इसके बाद ऋषि ने भगवान विष्णु से कहा कि आप ही हैं जो इतने शांत और सहनशील हैं। माता लक्ष्मी को ऋषि का ये व्यवहार पसंद नहीं आया और वो विष्णु जी से नाराज होकर बैकुंठ छोड़कर आ गईं। भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी को खोजना शुरु किया तो पाया कि माता एक कन्या के रुप में धरती पर जन्म लिया है। भगवान विष्णु ने रुप बदला और कन्या के पास पहुंच उन्हें शादी का प्रस्ताव दिया, इसे माता ने स्वीकार कर लिया।
विवाह के लिए धन की आवश्यकता थी, इस समस्या का समाधान निकालने के लिए भगवान शिव और ब्रह्म देव को साक्षी रखकर धन के देवता कुबेर से कर्ज लिया और विष्णु ने वेंकटेश रुप और देवी ने पद्मावती कन्या के रुप में विवाह किया। कुबेर से धन लेने के बाद विष्णु जी ने वचन दिया था कि कलयुग के खत्म होने तक वो सारा कर्ज चुका देंगे। कर्ज के खत्म होने तक वो उसका सूद चुकाएंगे। भगवान के कर्ज में होने की मान्यता के कारण इस मंदिर में भक्त धन-दौलत की भेंट करते हैं। इसी के कारण ये मंदिर भारत का सबसे अमीर मंदिर माना जाता है।


