Lohri 2021 Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Mantra, Samagri, Timings: पंजाबी परंपराओं के मुताबिक जनवरी माह में यानी सर्दियों के अंत में फसलों के बुआई और कटाई का मौसम होता है। इस लोकपर्व को फसल उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि लोहड़ी की रात साल की आखिरी सबसे लंबी रात होती है। प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व रात में लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है। मुख्य रूप से सिख समुदाय के लोग इस त्योहार को मनाते हैं। हालांकि, वर्तमान समय में लोग खुशियां मनाने के मौके ढूंढ़ते हैं। ऐसे में सभी समुदाय के लोग इस त्योहार को भी धूमधाम से मनाते हैं।

क्या है पूजन विधि: इस दिन एक काले कपड़े पर महादेवी यानी आदिशक्ति की प्रतिमा अथवा चित्र स्थापित करें। मान्यता है कि इस दिन पश्चिम दिशा में पश्चिम की तरफ ही मुख करके ही पूजा करनी चाहिए। देवी के समक्ष सरसो के तेल का दीपक जलाएं। सिंदूर चढ़ाएं, बेलपत्र अर्पित करें और देवी को रेवड़ी का भोग लगाएं। अब सूखे नारियल का गोला लें उसमें कपूर डालकर अग्नि जलाकर उसमें मूंगफली, रेवड़ी व कॉर्न डालें। इसके उपरांत कम से कम 7 बार अग्नि की परिक्रमा करें।

नव-दंपतियों के लिए विशेष होती है लोहड़ी: मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का त्योहार होता है। इस दिन सूर्यास्त के बाद लोग अपने घरों के सामने लोहड़ी जलाते हैं। आसपास ढोल-नगाड़े बजते हैं, लोग भांगड़ा और गिद्दा पाते हैं और इस उत्सव का जश्न मनाते हैं। नवविवाहित महिलाएं या फिर मां बनीं महिलाएं अपनी पहली लोहड़ी का बेसब्री से इंतजार करती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि मान्यता है कि आग के चारों ओर परिक्रमा करने से दांपत्य जीवन में मधुरता आती है। इस दिन जिनकी नई-नई शादी हुई है वो पति-पत्नी पारंपरिक परिधान धारण कर इस त्योहार को खुशी-खुशी मनाते हैं।

इस कहानी को को सुनने की है मान्यता: इस खास दिन बोलियां गाई जाती हैं। साथ ही, दुल्ला भट्टी की कहानी सुनने की भी मान्यता है। बता दें कि पंजाबी मान्यताओं के मुताबिक अकबर जिस वक्त शासक थे उस दौरान पंजाब में लड़कियों को अमीर सौदागरों को बेच दिया जाता है। तब दुल्ला भट्टी ने किसी नायक की तरह इन लड़कियों की रक्षा की थी और हिंदू लड़कों से इनका विवाह कराया था।