Lohri 2021 Date, Puja Vidhi, Shubh Muhurat Time: लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पहले यानी 13 जनवरी को मनाया जाता है। इस त्योहार के साथ ही पौष का महीना खत्म होता है और माघ मास शुरू होता है। लोहड़ी को उत्तर भारत का एक प्रमुख त्योहार माना जाता है, जो पंजाब और हरियाणा में खूब धूमधाम से मनाया जाता है। पंजाबी परंपराओं के मुताबिक लोहड़ी के दिन ही किसान अपने घरों में नई फसल को भगवान को अर्पित करते हैं। पूजा-अर्चना के बाद अगले दिन किसानों का वित्तीय नव वर्ष शुरू होता है। इस दिन लोग लोहड़ी की पवित्र अग्नि में गुड़, रेवड़ी, गजक, मूंगफली डालकर इसके चारों ओर परिक्रमा करते हैं।

क्या है पूजा विधि: समय के साथ ही लोहड़ी का पर्व बड़े पैमाने पर मनाया जाने लगा है। मान्यता है कि इस दिन लोगों को भगवान श्रीकृष्ण, आदिशक्ति और अग्निदेव की पूजा होती है। विद्वानों के मुताबिक लोहड़ी की पूजा पश्चिम दिशा में बैठकर उसी दिशा में मुंह करके होनी चाहिए। आदिशक्ति की प्रतिमा स्थापित कर सरसों के तेल का दीया जलाएं। फिर चित्र पर सिंदूर और बेलपत्र अर्पित करें, साथ ही रेवड़ी और तिल का लड्डू चढ़ाएं।

सूखे नारियल के गोले में कपूर डालकर उसे जलाएं। उसके साथ नारियल में रेवड़ी, मूंगफली और कॉर्न डालें। इसके बाद उस अग्नि की परिक्रमा कम से कम 7 बार जरूर करें। माना जाता है कि इस तरीके से पूजा-अर्चना करने से लोगों पर पूरे साल महादेवी की कृपा बनी रहती है। साथ ही, लोगों को कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है।

किन सामग्रियों की होगी जरूरत: गजक, रेवड़ी, मुंगफली, तिल-गुड़, पॉपकॉर्न, जलाने के लिए लकड़ी, अर्पित करने के लिए लड्डू, सूखा नारियल, मेवे

जानें शुभ मुहूर्त: 

त्योहार मनाने का समय – बुधवार, 13 जनवरी को लगभग पूरे दिन

लोहड़ी और संक्रांति का योग – गुरुवार, 14 जनवरी को सुबह 8 बजकर 29 मिनट पर

लोहड़ी का प्रसाद: इस पर्व में पांच तरह के भोग लगाने की मान्यता है। तिल से बना प्रसाद, गजक या मूंगफली और गुड़ के बने मीठे पकवान, रेवड़ी या फिर लाई, मूंगफली और पॉपकॉर्न अथवा मक्के से बना प्रसाद लोहड़ी माता और अग्नि देवता को अर्पित किया जाता है।