Lajward Gemstone Benefits: वैदिक ज्योतिष में राहु- केतु और शनि को पाप ग्रह की संज्ञा दी गई है। वहीं कुंडली में इनके नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के लिए मंत्र और रत्नों के बारे में जिक्र मिलता है। वहीं यहां हम बात करने जा रहे हैं लाजवर्त स्टोन के बारे में। जिसका संबंध राहु- केतु और शनि ग्रह से माना गया है। क्योंकि यह रत्न तीनों ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम कर सकता है। साथ ही इस रत्न को पहनने से आपको करियर औऱ कारोबार में तरक्की मिल सकती है। आइए जानते हैं लाजवर्त धारण करने की विधि और इसके लाभ…
जानिए कैसा होता है लाजवर्त
लाजवर्त बाजार में आसानी से मिल जाता है। लाजवर्त के ऊपर गोल्डन रंग की धारियां होती हैं। साथ ही इसका रंग नीला होता है।यह रत्न अफगानिस्तान, यूएसए और सोवियत रूस में भी पाया जाता है।
ये लोग कर सकते हैं धारण
जिन लोगों की कुंडली में शनि शुभ (उच्च) के स्थित हो, तो ये लोग लाजवर्त धारण कर सकते हैं। साथ ही मकर और कुंभ राशि, लग्न वाले लोगों को लाजवर्त शुभ होता है। क्योंकि इन राशियों पर के स्वामी शनि देव स्वंय हैं। वहीं अगर जन्मपत्री में राहु- केतु शुभ (उच्च) के स्थित हों तो भी लाजवर्त धारण किया जा सकता है। वहीं अगर शनि, राहु- केतु का संबंध धन और भाग्य स्थान से हो रहा हो तो भी लाभवर्त पहना जा सकता है।
लाजवर्त पहनने से मिलते हैं ये लाभ
लाजवर्त धारण पहनने से बुरी नजर नहीं लगती है। साथ ही व्यक्ति को करियर और कारोबार में तरक्की मिलती है। वहीं व्यक्तित्व में निखार आता है। साथ ही डिसीजन लेने की क्षमता में विकास होता है। साथ ही व्यक्ति की सोच पॉजिटिव होती है। साथ ही लाजवर्त रत्न धारण करने से आकस्मिक होने वाली दुर्घटनाओं से बचाव होता है।
जानिए धारण करने की सही विधि
वैदिक ज्योतिष अनुसार लाजवर्त को चांदी के धातु में जड़वाकर पहन सकते हैं। वहीं लाजवर्त को कम से कम सवा 8 से सवा 10 रत्ती का धारण करना चाहिए। साथ ही इसको शनिवार के दिन पहन सकते हैं। वहीं अगर ऊंगली की बात करें तो लाजवर्त को मध्यमा उंगली में धारण करना शुभ माना जाता है। वहीं लाजवर्त धारण करने के बाद राहु- केतु और शनि ग्रह से संबंधित दान निकालकर किसी मंदिर में पुजारी को दे आएं।