Laddu Gopal Swaroop: लड्डू गोपाल का स्वरूप भगवान श्रीकृष्ण के बालरूप का अत्यंत मनोहर और आकर्षक माना जाता है। उन्हें एक नन्हे, चंचल, मासूम और मोहक बालक के रूप में दर्शाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप के बारे में सोचते ही हमारे दिमाग में एक नटखट, माखन चोर की तस्वीर सामने आ जाती है। एक ऐसा स्वरूप जिसे देखकर आंखे हटाने का मन नहीं करता है। लड्डू गोपाल का स्वरूप देखकर लगता है जीवन का हर एक कष्ट दूर हो गया है और दिल मोहित हो जाता है। फिल्मों से लेकर टीवी सीरियल में कान्हा का मनमोहक रूपों को दिखाया गया है और वहीं छवियां लड्डू गोपाल की हमारे दिमाग में बसी हुई है। लड्डू गोपाल को पीले वस्त्र पहने हुए के साथ सिर पर छोटा सा मुकुट और उसमें लगा हुआ मयूर पंख। उनका रंग श्यामल और मुख पर हल्की मुस्कान होती है, जो देखने वाले को तुरंत आकर्षित करती है।असल में बाल गोपाल का स्वरूप कैसा है। इस बारे में स्कंद पुराण में विस्तार से बताया गया है। आइए जानते हैं स्कंद पुराण में श्री कृष्ण का बाल स्वरूप कैसा था…

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स्कंद पुराण के वैष्णव खंड के मार्गशीर्ष माह की महत्ता में श्री कृष्ण के बाल स्वरूप का विस्तार से वर्णन किया गया है।

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श्री शुकदेव जी कहते हैं – महाराज!अब मैं ध्यान का योग्य विषय कहता हूं। योगाभ्यास करने योग्य दो वस्तुएँ रहती हैं। उनमें भगवान का स्वरूप एक है, दूसरा प्राणायाम और इन्द्रियों को वश में करना है। भगवान का स्वरूप इस प्रकार ध्यान करना चाहिए। बालकृष्ण के दोनों चरणों में नूपुर सुशोभित हैं और पांव के अंगूठे में छल्ले हैं। उनकी कमर में करधनी, हाथों में कंगन, गले में सुन्दर हार, कानों में कुंडल, सिर पर अर्द्धचन्द्राकार मुकुट और उस पर मयूरपिच्छ शोभा पा रहे हैं। बालकृष्ण के दोनों नेत्र प्रेम से परिपूर्ण होकर माता यशोदा के मुख की ओर देख रहे हैं, उनके मुख कमल पर वचन की कोमल हंसी खिल रही है। भगवान के गले में सुगंधित वरमाला है, पीताम्बर उनकी शोभा बढ़ा रहा है। उनके दोनों हाथों में कंगन हैं। पैरों की पायल मधुर नाद कर रही है।

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बालकृष्ण की लीलामय मुद्रा, मुख की मनोहर हँसी, चितवन की चपलता और अंगों की सुंदरता साधक के मन को मोह लेती है। मुकुंद लाल सुशोभित मुख अत्यन्त सुन्दर है। कपोलों की कोमलता और आभा अनुपम आनन्द देती है। गले में वरमाला और पीताम्बर, पैरों की कोमलता और अंगुलियों की सुन्दरता, सब मिलकर ऐसा अनुपम रूप प्रकट करते हैं, जो भक्तों के हृदय को मोह लेता है। योगाभ्यास करने वाले साधक को ऐसे ही भगवान के बालस्वरूप का ध्यान करना चाहिए। इससे मन की चंचलता दूर होती है और हृदय में प्रेम और भक्ति का संचार होता है। ध्यान के समय भगवान के अंग-प्रत्यंग, आभूषण और भावमयी मुद्राओं का स्मरण करना चाहिए, क्योंकि यही ध्यान साधक को भक्ति और योग की सिद्धि प्रदान करता है। नेत्रों की बात करें, तो गेहुंआ और रक्त आर्द्रता उत्पन्न हुई उन देवस्वरूप भगवान श्रीकृष्ण का चिन्तन करने वाले योगी व्याही गृह में प्रातःकाल उनकी पूजा करके और मन्दिर-गमन, तीर्थ-पूजन, गुरु-पूजन आदि अनुग्रह करने को गृहस्थ धर्म कहें।

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अगस्त माह का तीसरे सप्ताह सूर्य और शुक्र अपनी राशि बजलने वाले हैं, जिससे कई राजयोगों का निर्माण होने वाला है। इस सप्ताह शुक्र कर्क राशि में प्रवेश करेंगे, जिससे बुध के साथ युति करके लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण करेंगे। इसके साथ ही सूर्य सिंह राशि में प्रवेश करेंगे, जिससे केतु के साथ युति करेंगे। इसके अलावा इस सप्ताह समसप्तक, षडाष्टक, गजलक्ष्मी, नवपंचम, महालक्ष्मी जैसे राजयोगों का निर्माण हो रहा है। ऐसे में कुछ राशि के जातकों को इस सप्ताह विशेष लाभ मिल सकता है। आइए जानते हैं मेष से लेकर मीन राशि तक के जातकों का कैसा बीतेगा ये सप्ताह। जानें साप्ताहिक टैरो राशिफल

मेष राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफलवृषभ राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफल
मिथुन राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफलकर्क राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफल
सिंह राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफलकन्या राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफल
तुला राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफलवृश्चिक राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफल
धनु राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफलमकर राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफल
कुंभ राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफलमीन राशि जुलाई से दिसंबर 2025 राशिफल

डिसक्लेमर- इस लेख को विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।