Premanand Maharaj on Eating Onion Good Or Bad: वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन और सत्संग से जुड़े वीडियो अक्सर सोशल मीडिया पर वायरल होते रहते हैं। उनकी बातें सरल और साफ भाषा में होती हैं, इसलिए लोग उनके विचारों को बड़े ध्यान से सुनते हैं। हाल ही में प्याज खाने से जुड़ा उनका एक वीडियो खूब वायरल हुआ। इस वीडियो में एक भक्त ने प्रेमानंद जी महाराज से सवाल किया कि क्या प्याज खाना पाप है? इस सवाल के जवाब में महाराज जी ने बेहद सरल बात कही, जो हर किसी के लिए जानना जरूरी है। वहीं महाराज जी का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक भक्त उनसे पूछ रहा है कि क्या प्याज खाना पाप है, आइए जानते हैं कि प्रेमानंद जी महाराज ने प्याज खाने पर क्या कहा…
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संतों के लिए है नियम
प्रेमानंद जी महाराज ने इस सवाल के जवाब में सबसे पहले यह साफ किया कि जो लोग भगवत मार्ग यानी भक्ति के रास्ते पर चल रहे हैं, उनके लिए लहसुन और प्याज खाना उचित नहीं है। उन्होंने बताया कि लहसुन और प्याज को तमोगुणी पदार्थ माना जाता है, यानी ये शरीर और मन में आलस्य, क्रोध और भ्रम जैसी स्थितियां बढ़ाते हैं। इसलिए जो व्यक्ति भगवान की भक्ति कर रहे हैं या संत जीवन जी रहे हैं, उनके लिए सात्विक भोजन करना आवश्यक है। संत परंपरा में यह नियम है कि ऐसे लोग लहसुन-प्याज से दूर रहें ताकि मन शांत और सात्विक बना रहे और भक्ति में मन लगे।
लेकिन प्रेमानंद जी ने यह भी कहा कि यह नियम हर किसी पर लागू नहीं होता। उन्होंने विशेष रूप से उन लोगों का जिक्र किया जो विद्यार्थी हैं, बड़े व्यापारी हैं, सेना में कार्यरत हैं या जो अक्सर यात्राएं करते हैं और विदेशों में रहते हैं। ऐसे लोगों के लिए हर जगह सात्विक भोजन उपलब्ध नहीं हो पाता, खासकर बिना लहसुन-प्याज का खाना। इसलिए इन परिस्थितियों में अगर वे लहसुन-प्याज खाते हैं तो यह पाप नहीं माना जाएगा। महाराज जी ने कहा कि ये लोग गृहस्थ जीवन जी रहे हैं और उन पर परिवार और समाज की जिम्मेदारियां हैं। वे संन्यासी नहीं हैं कि हर जगह नियमों का पालन कर पाएं।
लहसुन-प्याज खाना पाप नहीं, परंतु शराब और मांसाहार से बचें
प्रेमानंद जी महाराज ने बहुत स्पष्ट शब्दों में कहा कि लहसुन-प्याज खाना पाप नहीं है। यह वैसे ही एक सब्जी है जैसे आलू। हां, इसे तामसिक माना गया है, लेकिन यह शराब पीने या मांस-मछली खाने जैसा अभक्ष कर्म नहीं है। उन्होंने कहा कि शराब और मांसाहार तो पूरी तरह से वर्जित है, इससे तो हर हाल में दूर रहना चाहिए। लेकिन जहां लहसुन-प्याज के बिना भोजन संभव न हो, वहां इसे खाने में कोई पाप नहीं होगा।
क्यों रखा गया तामसिक की श्रेणी में?
महाराज जी ने बताया कि हालांकि प्याज और लहसुन वैसे तो जमीन के अंदर पैदा होते हैं जैसे आलू या मूली, लेकिन इनके गुण तामसिक माने गए हैं। तामसिक भोजन मनुष्य के मन में चंचलता, क्रोध और आलस्य बढ़ा सकता है। इसलिए भगवत प्राप्ति के मार्ग पर चलने वालों को इससे बचने की सलाह दी जाती है ताकि साधना और भक्ति में मन लगे और जीवन सात्विक बना रहे।
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