Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj: हिंदू धर्म में मूर्ति पूजा का विशेष महत्व है। हर किसी के घर के मंदिर में विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्ति, तस्वीर आदि रखते हैं। यह व्यक्ति की आस्था, ऊर्जा और दिव्यता का केंद्र मानी जाती है। किसी भी देवी-देवता की प्रतिमा को घर में स्थापित करना, पूजा-पाठ का एक अत्यंत पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि घर में मूर्ति स्थापित करने से सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि और शांति का संचार होता है। ऐसे में भगवान की मूर्ति खरीदते समय कुछ नियमों का पालन करते हैं। ये केवल मूर्ति एक प्रतिमा नहीं, बल्कि ईश्वरीय उपस्थिति का सजीव रूप बन सके। ऐसे में कई लोगों के मन में मूर्ति या तस्वीर खरीदते समय इस बात की शंका रहती हैं कि इनका मोल भाव करने से पाप लग सकता है। इसलिए कई लोग बिना मोलभाव किए दुकानदार को मुंह मांगी रकम दे देते हैं। ऐसे में प्रेमानंद महाराज का एक वीडियो सामने आया है जिसमें एकांतिक वार्तालाप में एक भक्त उनसे पूछ रहा है कि महाराज भगवान की खरीदते समय मोल भाव करने से क्या पाप लगता है। जानें प्रेमानंद महाराज जी ने क्या उत्तर दिया।
प्रेमानंद महाराज जी से एकांतिक वार्तालाप में एक व्यक्ति ने पूछा कि क्या ठाकुर जी का श्री विग्रह लेते समय क्या उनका मोलभाव करना या फिर बहुत से मूर्तियों में से चयन करना, उनकी सुंदरता की तुलना करने से क्या अपराध होता है। इस बात का जवाब देते हुए महाराज कहते हैं कि उस समय चयन करना अपराध नहीं होता है।। लेकिन जब आप अपने घर में इन्हें स्थापित कर लेते हैं और उनकी सेवा करने लगते हैं, तो कभी भी दूसरे ठाकुर जी या अन्य मूर्ति से तुलना नहीं करना चाहिए। जब तक सेवा में विराजमान नहीं करते हैं, तो आप आसानी से मोलभाव करने के साथ चयन कर सकते हैं। इससे किसी भी प्रकार का अपराध नहीं होता है।
प्रेमानंद महाराज ने मूर्ति को लेकर मोलभाव वाली बात को लेकर कहा कि हमें नहीं करना चाहिए। ये पैसे हमें भेंट के तौर पर देने चाहिए। अगर किसी मूर्ति की कीमत 45 हजार है, तो उससे आप याचना कर सकते हैं कि मेरे पास 40 हजार रुपए है तो हो सके तो आप इतने पैसे में दे दें। अगर वो नहीं दे रहा है, तो आपके पास जब 5 हजार हो जाए, तो आप उसे ले सकते हैं। ठाकुर जी में मोलभाव नहीं करना चाहिए। उनका न्योछावर करना करना चाहिए।
प्रेमानंद महाराज से आगे पूछते हैं कि ऐसे तो वह भगवान का अनुचित मूल्य लगा सकते है। ऐसे में महाराज दी कहते हैं कि नहीं वो अनुचित नहीं लगा सकता है। अगर किसी मूर्ति की कीमत 45 हजार है, तो किसी की हिम्मत नहीं है कि वह 80 हजार की लगा दें। ठाकुर जी उनके अंदर बैठे हुए हैं, तो 4-5 हजार इधर-उधर कर सकता है। इसलिए उनका मांगना कोई अपराध नहीं है। ठाकुर जी का कोई मोल नहीं है। जितने की मिल जाए। उन्होंने उस मूर्ति का निर्माण किया है, तो निर्माणकर्ता कुछ भी ले सकता है। इसलिए न्योछावर देने में पीछे न हटे।
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