आज यानी 9 सितंबर, दिन रविवार को भाद्रपद कृष्ण अमावस्या है। इसे कुशग्रहणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। कई जगहों पर इसे कुशोत्पाटिनी अमावस्या कहकर भी पुकारा जाता है। कुशग्रहणी अमावस्या के दिन होने वाली पूजा में कुशा का प्रयोग किया जाता है। इस दिन की पूजा में कुशा को शामिल किए बिना काम नहीं चलता। सनातन धर्म के अनुसार कुशग्रहणी अमावस्या की पूजा में यदि कुशा का इस्तेमाल ना किया जाए तो उस पूजा का कोई फल प्राप्त नहीं होता है। कुशग्रहणी अमावस्या पर कई सारे लोग अपने पर पंडितों को घर आमंत्रित करके पूजा-पाठ करवाते हैं।
कुशग्रहणी अमावस्या पर व्रत रखने का भी विधान है। इस दिन व्रत रखने के कई सारे फायदे बताए गए हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन लोगों की वृष और कन्या राशि है, उन पर अक्सर शनि की ढैया का प्रभाव होता है। इसके अलावा वृश्चिक, धनु और मकर राशि वालों को शनि की साढ़ेसाती से जूझना पड़ता है। कहते हैं कि इन लोगों को कुशग्रहणी अमावस्या का व्रत जरूर करना चाहिए। इसके साथ ही कुशग्रहणी अमावस्या पर दान करने को भी लाभकारी माना गया है। आप इस इन अपनी क्षमता अनुसार ब्राह्मणों या गरीबों को दान कर सकते हैं।
कई लोगों की कुंडली में बार-बार शनि, राहु और केतु का प्रकोप हो जाता है। इस प्रकोप से बचने के लिए भी कुशग्रहणी अमावस्या को खास बताया गया है। कहा जाता है कि इस दिन पूरी श्रद्धाभाव से पूजा और व्रत करने से इन ग्रहों के प्रकोप से छुटकारा मिलता है। कुशग्रहणी अमावस्या को पितृ दोष से बचने के लिए भी उपयोगी माना गया है। कहते हैं कि पितृ दोष से परेशान लोगों को इस दिन अवश्य व्रत रखना चाहिए। इसके साथ ही अपने पितरों को इस दिन भोग लगाने का भी विधान है। ऐसा करने से पितृ दोष समाप्त हो जाने की मान्यता है।